देश भर में आए दिन अलग-अलग इलाकों में हत्या जैसे जघन्य अपराध के मामले लोगों के लिए आम हो चुके हैं। रोजाना ऐसी घटनाएं आकर गुजर जाती हैं, लोगों का ध्यान इन पर जाता है या फिर वे इन खबरों को पढ़ कर दूसरे कामों में सहजता से लीन हो जाते हैं। मगर कई बार हत्या की कोई वारदात अपनी प्रकृति में ऐसी होती है कि वह हैरानी और चर्चा का मसला बन जाती है। गोवा के एक होटल में चार वर्षीय बच्चे की हत्या के मामले ने बहुत सारे लोगों का ध्यान अपनी खींचा है। दरअसल, इसमें बच्चे के मारे जाने के कारणों का जैसा ब्योरा आया है, उससे हैरानी होती है कि संवेदनशीलता की अति कैसे एक मां को भी किसी मौके पर संवेदनहीन बना दे सकती है।
CEO महिला बेटे को घुमाने के लिए गोवा ले गई थी
खबरों के मुताबिक बंगलुरु की एक कंपनी में मुख्य कार्यकारी अधिकारी यानी सीईओ के पद पर काम करने वाली महिला अपने बच्चे को गोवा घुमाने ले गई। फिर वहीं एक होटल में दम घोंट कर बच्चे की हत्या कर दी गई। इसके बाद महिला ने बच्चे के शव को एक बड़े सूटकेस में डाल कर दूसरी जगह भागने की कोशिश की। संयोग से होटल के कर्मचारियों को शक हुआ और उन्होंने पुलिस को खबर कर दी।
बचाव के लिए मां ने मर्डर से इनकार किया
हालांकि पकड़े जाने के बाद महिला ने बच्चे की हत्या के आरोप से इनकार किया और इससे पहले उसने खुद को भी नुकसान पहुंचाने और बहाना बनाने की कोशिश की थी। मगर परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और शुरुआती पड़ताल से यही जाहिर हुआ कि घटना को कैसे अंजाम दिया गया होगा। अब कानून की कसौटी पर इसे हत्या के अन्य मामलों की तरह ही देखा जाएगा और दोषसिद्धी के बाद सजा दी जाएगी। मगर खबरों में इससे जुड़े जो अन्य ब्योरे सामने आए हैं, वे इस मसले पर अपराध के साथ-साथ अन्य पहलुओं पर सोचने की जरूरत रेखांकित करते हैं।
पति के बीच अनबन की वजह से तलाक की नौबत आ गई थी
आरोपी महिला और उसके पति के बीच अनबन की वजह से तलाक की नौबत आ गई थी, जिसके लिए कानूनी प्रक्रिया चल रही थी। इस बीच पति को भी हफ्ते में एक बार बच्चे से मिलने की इजाजत मिली थी। मगर महिला चाहती थी कि बच्चे का पिता उससे न मिले। इसलिए वह कोई न कोई तरीके निकालती रहती थी। इसी क्रम में वह बच्चे को लेकर गोवा गई और अब तक सामने आ सकी जानकारी के मुताबिक, वहीं बच्चे की हत्या की गई।
यह हत्या की किसी घटना का सामान्य ब्योरा हो सकता है, मगर इसके पीछे कारण के रूप में जिस स्तर का शून्य भाव, स्वार्थ, उथल-पुथल और संवेदनहीनता को देखा जा सकता है, वह हैरान करने वाला है। इसमें कोई दोराय नहीं कि अक्सर हत्या की वारदात में कई बार पिता भी अपने पुत्र का तो पुत्र अपने किसी अभिभावक को मार डालने का आरोपी होता है। इसलिए मां को एक उम्मीद के रूप में देखे जाने के बावजूद किसी एक घटना को उदाहरण नहीं बनाया जा सकता। लेकिन यह समझना मुश्किल है कि कृत्रिम बुद्धिमता जैसी आधुनिक तकनीक की कंपनी में सबसे उच्च पद पर होने के समांतर आरोपी महिला पति के साथ उपजे निजी संबंधों में तनाव और बच्चे से लगाव के बीच खुद को भावनात्मक रूप से संतुलित नहीं रख पाई।
अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि प्रेम और भावनात्मक लगाव की वजह से अपने जिस बच्चे को वह पति से नहीं मिलने देना चाहती थी, उसे मार डालना ही उसे अकेला विकल्प लगा। इस द्वंद्व में एक बच्चे की जान चली गई, जिसे सबका प्यार पाने का हक था। मगर सवाल है कि इससे किसे क्या हासिल हुआ!