वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमितों की संख्या भारत में इकतीस लाख को पार कर गई है। संक्रमण को रोकने के तमाम इंतजामों के बावजूद इसमें अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पा रही है। खासकर सामुदायिक संक्रमण की खतरनाक स्थिति न आने देने के मकसद से समूचे देश में सख्त नियम-कायदे लागू हैं। पर विडंबना है कि इन नियमों पर अमल को लेकर जन-सामान्य के बीच भी कुछ हद तक कोताही बरती जा रही है।
फिर ऐसे लोगों और समूहों की ओर से लापरवाही बरतने के बड़े उदाहरण सामने आ रहे हैं, जिन पर खासकर इसके संक्रमण पर काबू पाने और इससे बचाव के संदेश का प्रसार करने का दायित्व सबसे ज्यादा है।
मसलन, पंजाब के बठिंडा स्थित एम्स यानी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के एक आयोजन में उच्चाधिकारियों और डॉक्टरों ने यह ध्यान रखना जरूरी नहीं समझा कि कार्यक्रम में शिरकत करने और तस्वीरें खिंचवाने के क्रम में जिस तरह का जमावड़ा हुआ, उसमें संक्रमण से बचाव के सबसे मुख्य नियमों को ही ताक पर रख दिया गया। जो तस्वीर सामने आई है, उसमें शामिल अधिकारी, बाकी डॉक्टर और अन्य लोग एक दूसरे के बेहद करीब और बिना मास्क पहने खड़े हैं। बहुत कम लोगों ने मास्क को ठीक से पहना हुआ है।
दरअसल, बठिंडा के इस मामले के अलावा भी देश के अलग-अलग राज्यों से ऐसी खबरें आर्इं, जिसमें किसी नेता के स्वागत के लिए लोगों के जमावड़े, उद्घाटन जैसे किसी सरकारी कार्यक्रम या धार्मिक आयोजन में आपसी दूरी बरतने या फिर मास्क पहनने के नियम का भारी उल्लंघन हुआ। मगर न तो आयोजकों या नेताओं ने अपने आयोजन में शामिल होने वालों को संक्रमण से बचाव के उपायों पर अमल करने पर जोर दिया और न ही स्थानीय प्रशासन ने ऐसे जमावड़ों में नियमों को धता बताए जाने पर कोई कार्रवाई की।
ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वायरस के फैलने के मुख्य उपायों का ही खयाल नहीं रखा जाएगा, तो स्थिति किस हद तक गंभीर हो जा सकती है। बठिंडा के जिस कार्यक्रम में नियमों के पालन में व्यापक लापरवाही बरती गई, बाद में उसमें शामिल होने वालों में से आठ लोग संक्रमित पाए गए।
अब क्या गारंटी है कि उन लोगों ने बाकियों को संक्रमित नहीं किया होगा! सवाल है कि जो संस्थान, उसके अधिकारी और डॉक्टर मौजूदा समय में कोरोना संक्रमितों के इलाज, उनकी देखभाल और नियमों को लेकर मरीजों को सचेत करने की ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं, खुद उन्होंने ही सारे कायदों को ताक पर रख कर तस्वीर खिंचवाना जरूरी क्यों समझा!
गौरतलब है कि खुद प्रधानमंत्री भी अलग-अलग मंचों से और पंद्रह अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी संक्रमण से बचाव के लिए इन उपायों को लेकर सजग रहने की बात कही है। संक्रमण पर काबू पाने के लिए मुख्य रूप से दो नियमों के पालन को लेकर समूचे देश में सख्ती बरती जा रही है। पहला नियम है चेहरे पर सही तरीके से मास्क पहनना और दूसरा, एक दूसरे से कम से कम दो गज दूर रहना। माना जा रहा है कि अगर इन दो नियमों पर ठीक से अमल सुनिश्चित करा लिया गया तो संक्रमण के बढ़ने की दर को काबू में लाया जा सकता है।
लगभग सभी राज्यों में इसे लागू करने को लेकर जागरूकता अभियान चलाने से लेकर इसके उल्लंघन पर जुर्माना लगाने जैसी सख्ती भी बरती जा रही है। लेकिन अफसोस की बात है कि जिन लोगों को देख कर आम लोग बचाव के तरीकों को लेकर सावधानी बरतने की सीख ले सकते हैं, संक्रमण को रोकने में भूमिका निभा सकते हैं, खुद वही इन नियमों का पालन करना जरूरी नहीं समझ रहे।