इजराइल और हमास के बीच दो महीने पुराना संघर्ष विराम जमीन पर कितना उतर सका, उसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके बावजूद इजराइल ने इस बार बिना किसी उकसावे के गाजा पर हवाई हमले किए। हालांकि उसका दावा है कि गाजा की ओर से मिसाइल दागी गई। इजराइल के सैन्य हमले में अब तक बयालीस हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। बमबारी से बचने के लिए नागरिक भूखे-प्यासे मारे-मारे फिर रहे हैं। अफसोसनाक यह भी है कि उन तक मानवीय सहायता भी नहीं पहुंचने दी जा रही।
बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शरणार्थी शिविरों में रहने के लिए मजबूर हैं। ऐसा लगता है कि इजराइल किसी भी नियम और शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उसने संघर्ष विराम के बावजूद कर गाजा पर भारी हवाई हमले किए, जिसमें पांच सौ बानबे लोगों की मौत हो गई। सवाल है कि इजराइल ने ऐसा क्यों किया? हमास के साथ उसका अस्थायी संघर्ष विराम इसलिए हुआ था, ताकि हमले में अपहृत बंधकों को छोड़ दिया जाएगा। हमास ने कुछ बंधक छोड़े भी। यह प्रक्रिया चल ही रही थी कि अब दोनों पक्ष एक दूसरे पर शर्तों के उल्लंघन के आरोप लगा रहे हैं।
इजराइल ने दोबारा हमले कर कर दिया साफ
वर्चस्व के इस जंग के बीच आम फिलिस्तीनी दयनीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। संघर्ष विराम टूटने के बाद गाजा क्षेत्र में स्थिति और भी गंभीर होने का अंदेशा है। इजराइल ने दोबारा हमले कर साफ कर दिया है कि शांति प्रयासों में उसकी कोई रुचि नहीं है। वह अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए गाजा को तबाह कर देने पर आमादा है।
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यह अजीब बात है कि वह हमले के बीच युद्धविराम से जुड़ी वार्ताएं जारी रखने की बात कर रहा है। उसने बुधवार को दोबारा हमले किए, जिससे पचासी नागरिकों की मौत हो गई। ये हमले उस समय हुए, जब ज्यादातर लोग घरों में सो रहे थे। शांति और समस्या के हल की कोशिश के बजाय इजराइल ने इस बार उत्तरी गाजा पर शिकंजा कस दिया है। इससे फिलिस्तीनी नागरिकों की आवाजाही मुश्किल हो गई है। सवाल है कि उन आम लोगों के मानवाधिकारों का हनन कब तक होता रहेगा, जो युद्ध के लिए जिम्मेदार नहीं हैं!