हमास के हमले के बाद इजराइल की प्रतिक्रिया ने अब बेहद त्रासद रुख अख्तियार कर लिया है। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि अब तमाम मानवीय तकाजों को ताक पर रख दिया गया है और प्रभावित इलाकों में लोग भूख से मरने को मजबूर हैं। इस बात की कोई फिक्र नहीं दिखती कि अब एकतरफा हो चुके युद्ध में मरने वाले निर्दोष और मासूम बच्चे हैं। गाजा में इजराइल के हमलों में जो लोग मारे जा रहे हैं, वह एक पक्ष भर है। इसके समांतर त्रासद और भयावह यह है कि इजराइल ने गाजा के प्रभावित इलाकों में मानवीय मदद पहुंचाने के भी सारे रास्ते बंद कर दिए हैं।
नतीजा यह है कि अब वहां लोगों और खासकर बच्चों के मारे जाने की बड़ी वजह भुखमरी बन गई है। गाजा के अस्पतालों में हजारों की तादाद में कुपोषण के शिकार ऐसे बच्चे जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं, जिन्हें जान बचाने के लिए पेट भरने लायक खाना भी नहीं मिल पा रहा है। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने यह चेतावनी जारी की थी कि अगर जल्दी मदद नहीं मिली, तो सिर्फ दो दिनों के भीतर चौदह हजार बच्चों की जान जा सकती है।
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दरअसल, करीब दो महीने से इजराइल ने सभी खाद्य सहायता, दवा और अन्य सामान के गाजा के युद्ध प्रभावित इलाकों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, जहां करीब बीस लाख फिलिस्तीनियों की आबादी रहती है। गाजा में रहने वाले ये लोग पूरी तरह बाहरी सहायता पर निर्भर हैं, क्योंकि इजराइली हमले ने उस इलाके की सभी खाद्य उत्पादन क्षमताओं को तबाह कर दिया है।
जाहिर है, अब गाजा में अकाल का खतरा भी सामने खड़ा है। मगर अफसोसनाक यह है कि संयुक्त राष्ट्र से लेकर तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रयास इजराइल को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। गाजा में इजराइली हमले में अब तक साठ हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे, जिनका हमास या आतंकवाद से कोई वास्ता नहीं था। सवाल है कि हमास के जिस हमले को मानवता के खिलाफ बता कर इजराइल ने युद्ध छेड़ दिया, उसमें मासूमों को मार कर क्या हासिल हो रहा है।