भारत और ओमान के बीच व्यापारिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते बहुत पुराने हैं। आपसी विश्वास और सम्मान के आधार पर दोनों रणनीतिक साझीदार रहे हैं। अब दोनों देशों के रिश्ते नए दौर में प्रवेश करने जा रहे हैं। ओमान के शासक सुल्तान हैथम बिन तारिक अल सईद पहली बार भारत की यात्रा पर आए हैं। यह छब्बीस वर्ष बाद ओमान के किसी शासक की यात्रा हुई है। राष्ट्रपति भवन में उनके राजकीय स्वागत और फिर उनसे बातचीत के बाद भारत के प्रधानमंत्री ने कहा कि इस यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंध ऐतिहासिक दौर में पहुंचने वाले हैं।
दोनों देशों के अधिकारियों के बीच दो दौर की बातचीत हो चुकी है
हैथम की इस यात्रा से दोनों देशों में मुक्त व्यापार समझौते के जल्द से जल्द पूरा होने की उम्मीद बनी है। पिछले महीने के आखिरी और इस महीने के पहले सप्ताह में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच इस विषय में दो दौर की बातचीत हो चुकी है। फिलहाल दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार के लिए संयुक्त दृष्टि दस्तावेज को स्वीकार किया है, जिसमें समुद्री क्षेत्र, संचार, अंतरिक्ष, डिजिटल भुगतान, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा में साझेदारी प्रमुख हैं।
पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। पिछले वित्तवर्ष में भारत और ओमान के बीच 12.39 अरब डालर का कारोबार हुआ, जबकि उसके पहले के वित्तवर्ष में यह 5.4 अरब डालर का था। स्वाभाविक ही इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी बढ़ाने को लेकर उत्साह है।
वर्ष 2008 के बाद से विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच नियमित वार्ता और करार होते रहे हैं। सुरक्षा सहयोग, प्रतिरक्षा तथा क्षेत्रीय सुरक्षा, समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा और संरक्षा सहित आपसी हितों के मुद्दों पर वार्षिक बैठकें होती रही हैं। ओमान एक ऐसा देश है, जिसके साथ भारत की तीनों सेनाओं के अभ्यास आयोजित होते रहे हैं। फिर वह हिंद महासागर और अरब सागर की एक ऐसी संधि पर स्थित है, जिसके साथ भारत के रिश्ते रणनीतिक रूप से बहुत लाभकारी हैं।
खासकर समुद्री सुरक्षा के मामले में चीन से मिल रही चुनौतियों के मद्देनजर ओमान की दोस्ती ज्यादा अहम है। उससे भारत के सामरिक, सुरक्षा, आतंकवाद, नई तकनीकों के जरिए मिल रही चुनौतियों आदि से पार पाने संबंधी समझौते हैं। फिर वह खाड़ी सहयोग परिषद, अरब लीग तथा हिंद महासागर रिम एसोसिएशन में एक महत्त्वपूर्ण वार्ताकार है, जिसके चलते खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंधों में संतुलन बनाने में मदद मिलती है। ओमान के रास्ते खाड़ी देशों से व्यापार में सहूलियत होती है।
अभी जिस तरह वैश्विक स्थितियां बदल रही हैं और उनमें आर्थिक, व्यापारिक, सामरिक समीकरण उलझ रहे हैं। महाशक्तियां अपने ढंग से विश्व अर्थव्यवस्था को संचालित करने की कोशिश कर रही हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध और फिर इजराइल-हमास संघर्ष के चलते सबसे अधिक असर विकासशील और अविकसित देशों की आपूर्ति शृंखला पर पड़ रहा है। भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है। इसलिए वैकल्पिक रास्ते तलाशे जा रहे हैं।
हालांकि भारत अनेक मामलों में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ चला है, मगर निर्यात और कच्चे तेल के आयात के मामले में उसके सामने बड़ी चुनौतियां हैं। विकासशील देशों को एकजुट कर व्यापारिक संबंधों को प्रगाढ़ करने और महाशक्तियों के प्रभाव से मुक्त होने की कोशिशें पिछले कुछ समय में तेज हुई हैं। ऐसे में ओमान के साथ व्यापार बढ़ने से निश्चय ही भारत को बड़ा बल मिलेगा।