मणिपुर में कुछ दिनों की शांति के बाद हिंसक घटनाओं को फिर से हवा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में कुकी जो संगठनों और केंद्र सरकार के बीच पिछले दिनों हुए समझौते तथा उसके बाद प्रधानमंत्री के मणिपुर दौरे के बाद से उम्मीद की जा रही थी कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। मगर, शुक्रवार शाम को राज्य के बिष्णुपुर जिले में असम राइफल्स के वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में दो जवान शहीद हो गए और पांच अन्य घायल हो गए।

हालांकि, इस हमले की किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन माना जा रहा है कि इसके पीछे किसी उग्रवादी संगठन का हाथ हो सकता है। यानी यह घटना राज्य में आपसी संघर्ष के मसले से हटकर क्षेत्र में शांति भंग करने की साजिश हो सकती है। यह आशंका इसलिए भी स्वाभाविक लगती है, क्योंकि इस हमले के विरोध में स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए। इससे साफ है कि अब वे क्षेत्र में किसी तरह की हिंसा नहीं चाहते और शांति कायम रखने के हिमायती हैं।

प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा इन्हीं प्रयासों की कड़ी का एक हिस्सा

इसमें दोराय नहीं कि मणिपुर के लोगों की मूल समस्याओं का समय पर निपटारा न होने से वहां जातीय हिंसा भड़की और इसका असर आम लोगों के जीवन पर भी पड़ा। कई लोगों को अपना घर-बार छोड़कर शिविरों में शरण लेनी पड़ी और कुछ लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी। यह भी सच है कि हिंसक घटनाओं के बाद सरकार ने राज्य में शांति बहाली को लेकर कई कदम उठाए। पिछले दिनों कुकी जो समुदाय से संबंधित दो संगठनों के साथ शांति समझौता और उसके बाद प्रधानमंत्री का मणिपुर दौरा इन्हीं प्रयासों की कड़ी का एक हिस्सा है।

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इससे पहले कुकी-जो और मैतेई समुदायों की ओर से आई प्रतिक्रिया से हालात सामान्य होने के संकेत मिले थे। मगर, अब अचानक सुरक्षाबल के वाहन पर हुए घातक हमले ने फिर से चिंता बढ़ा दी है। हालांकि राहत की बात यह है कि स्थानीय लोग इस हमले का कड़ा विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के हमलों की पुनरावृत्ति न हो और राज्य के लोगों का शासन-प्रशासन पर भरोसा कायम रहे।