प्रलोभन देकर रूसी सेना में भर्ती कराए गए भारतीय युवाओं का मामला उजागर होने के बाद सरकार सतर्क हो गई है। जांच एजंसियां जगह-जगह छापे मार कर पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि अब तक कितने ऐसे भारतीय युवाओं को धोखे से रूस भेजा और वहां की सेना में भर्ती कर यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में तैनात किया गया है। अभी तक इसका वास्तविक आंकड़ा पता नहीं चल सका है, मगर सीबीआइ की जांच में खुलासा हुआ है कि कई एजंसियों ने बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं को छात्र वीजा पर रूस भेजा और वहां उन्हें सेना में सहायक के रूप में तैनात कर दिया गया।

कपटपूर्ण काम करने वाली एजेंसियों पर होगी कार्रवाई

यह मामला तब सामने आया, जब वहां से कुछ युवाओं के मारे जाने की खबरें आईं। अब सरकार उन एजंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और धोखे से रूस भेजे गए भारतीय युवाओं को मुक्त कराने का प्रयास कर रही है। हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है, जब युवाओं ने रोजगार की तलाश में दूसरे देश का रुख किया।

एजंटों की मदद लेकर गलत तरीके से दूसरे देश में प्रवेश पा गए। अक्सर खाड़ी देशों से भी इसी तरह भारतीय युवाओं के बंधक बनाए जाने की खबरें आती हैं, जो नौकरी दिलाने वाले एजंटों की मदद से वहां जाते हैं। पिछले वर्ष एजंटों की मदद से चोरी-छिपे अमेरिकी सीमा में प्रवेश करने की कोशिश करते कई नौजवान मारे गए थे।

करीब दो महीना पहले ही जब इजराइल ने भारत से मजदूरों की मांग की और हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि की सरकारों ने वहां जाने के लिए युवाओं की भर्ती खोली, तो भीड़ उमड़ पड़ी। भारतीय युवाओं में विदेश जाकर नौकरी करने की ललक कुछ अधिक देखी जाती है। यही वजह है कि ब्रिटेन, कनाडा आदि ऐसे देशों में जाने के लिए युवा और उनके परिजन मुंहमांगी रकम देने को तैयार नजर आते हैं, जहां जाना आसान और रोजगार के अवसर अधिक हैं।

मगर गलत तरीके से रूस भेजे गए युवाओं के मामले से एक बार फिर रेखांकित हुआ है कि यह केवल विदेश जाकर नौकरी करने और बस जाने की ललक का मामला नहीं है। दुनिया के बहुत सारे देश जानते हैं कि भारत में श्रम सस्ता है, इसलिए भी वे भारतीय नौजवानों को अपने यहां काम का मौका देते हैं। फिर भारतीय युवा जब विदेश में मिलने वाले मेहनताना की तुलना भारत में मिलने वाले मेहनताने, वेतन, भत्तों आदि से करते हैं, तो उन्हें बहुत कम समय में अधिक बचत नजर आती है।

हालांकि नौकरी आदि के लिए विदेश जाने वालों के लिए पंजीकरण कराने का प्रावधान है, ताकि सरकार के पास उन लोगों को आंकड़ा रहे। मगर फिर भी बहुत सारे युवा नियम-कायदों के मुताबिक काम न मिल पाने की वजह से एजंटों के जरिए दूसरे देशों में प्रवेश कर जाते हैं। वहां उन्हें तरह-तरह की प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। यह स्थिति इसलिए है कि अपने देश में उन्हें उनके हुनर के मुताबिक काम के अवसर उपलब्ध नहीं हैं। जिन्हें काम मिल भी जाता है, उन्हें गुजारे लायक पैसा भी बड़ी मुश्किल से मिल पाता है। मगर सरकार का दावा है कि बेरोजगारी की दर लगातार घट रही है। स्टार्टअप, मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों से युवाओं को प्रोत्साहन मिल रहा है। अगर ऐसा होता, तो शायद इतने सारे युवाओं को रूस जाकर जोखिम वाली स्थितियों में काम न करना पड़ता।