काठमांडो में सार्क शिखर सम्मेलन का अवसर भारत और नेपाल के रिश्तों को और मजबूती देने का भी जरिया बना। सम्मेलन से एक दिन पहले दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सुरक्षा सहित रणनीतिक महत्त्व के मुद््दों पर बातचीत की। फिर नरेंद्र मोदी और सुशील कोइराला की मौजूदगी में आपसी सहयोग के दस समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

ये समझौते नेपाल के विकास में भारत के सहयोग के अलावा और दोनों तरफ नागरिकों के के स्तर पर संपर्क की सुविधाएं बढ़ाने से संबंधित हैं। प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद मोदी पहली बार अगस्त के शुरू में नेपाल गए थे। वह यात्रा द्विपक्षीय रिश्तों पर ही केंद्रित थी। तभी मोदी ने आपसी रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाने की इच्छा जताई थी, यह कहते हुए कि भारत अपनी विदेश नीति में नेपाल को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। यों भारतीय विदेश नीति में नेपाल की अहमियत हमेशा से रही है। फिर, नेपाल से हमारे संबंधों में जो विशिष्टता रही है वह अन्यतम है। दोनों देशों की सीमाएं खुली हुई हैं। भारत ने नेपाल के लोगों को अपने यहां रहने, रोजगार और शिक्षा पाने की सुविधा दे रखी है। वर्ष 1950 में हुई मैत्री संधि इस विशिष्ट रिश्ते का आधार रही है। लेकिन मोदी से पहले सत्रह वर्षों में कोई भारतीय प्रधानमंत्री द्विपक्षीय रिश्तों के लिहाज से नेपाल नहीं गया था। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी ने नेपाल से हमारे संबंधों को अधिक महत्त्व और सक्रियता दी है।

मोदी की पिछली नेपाल यात्रा में भी दोनों देशों के बीच तीन समझौते हुए थे, जो घेघा रोग से जूझ रहे नेपाल को आयोडीनयुक्त नमक की आपूर्ति, वहां आयुर्वेद को बढ़ावा देने और पर्यटन की संभावनाएं बढ़ाने से संबंधित थे। उसी समय मोदी ने नेपाल को एक अरब डॉलर का कर्ज रियायती ब्याज दर पर देने की घोषणा की थी। अब उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी हो गए हैं। भारत ने बांग्लादेश के लिए भी 2010 में इतनी ही राशि का ऋण रियायती दर पर मंजूर किया था। भारत और नेपाल ने एक मोटर वाहन समझौता मंजूर किया है, जिसके मुताबिक एक दूसरे के देश में निर्धारित मार्गों पर चलने वाले वाहनों को परमिट दिया जाएगा। भारत नेपाल पुलिस अकादमी के प्रशिक्षण-कार्य में मदद करेगा। दोनों देशों ने दूसरी तरफ यात्रा के दौरान पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट लेकर चलने पर दशक भर से लागू प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। अब दोनों देशों के नागरिक पच्चीस हजार रुपए तक की राशि के एक हजार और पांच सौ के नोट लेकर भी यात्रा कर सकेंगे।

इसी मौके पर काठमांडो और दिल्ली के बीच पशुपतिनाथ एक्सप्रेस नाम से बस सेवा भी शुरू हुई। इसके अलावा दोनों देशों ने काठमांडो-वाराणसी, जनकपुर-अयोध्या, और लुंबिनी-बोधगया के तीन जुड़वां शहर समझौते भी किए हैं।

जाहिर है, ये करार भारत और नेपाल के बीच लोगों की आवाजाही को आसान बनाएंगे और इनसे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। मोदी की पिछली यात्रा के दौरान नेपाल में बिजली उत्पादन में भारत के सहयोग की पेशकश मूर्त रूप नहीं ले सकी थी। इसके पीछे शायद नेपाल का यह अंदेशा था कि बिजली परियोजनाओं में प्रस्तावित निवेश के प्रावधान से उसकी ऊर्जा परियोजनाओं में दखलंदाजी का रास्ता खुल जाएगा। लेकिन मोदी की दूसरी यात्रा के दौरान परियोजना विकास समझौता भी हुआ, जो नेपाल की अरुण नदी पर बनने वाली नौ सौ मेगावाट की पनबिजली परियोजना से संबंधित है। तीन महीने पहले बिहार के कोशी क्षेत्र से हजारों लोगों को बाढ़ की आशंका के चलते पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा था। यह बात काफी समय से कही जाती रही है कि बिहार की बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान नेपाल के सहयोग के बिना नहीं हो सकता। इस बारे में ठोस पहल कब होगी!

 

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