उत्तर प्रदेश के शामली जिले के नवोदय निद्यालय में एक छात्र को उसके कुछ सहपाठियों द्वारा यातना देने और उससे दुराचार की जैसी घटना सामने आई है, उससे एक बार फिर शैक्षिक परिसरों के भीतर बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं। गौरतलब है कि शामली नवोदय विद्यालय के छात्रावास में आठ छात्रों ने पीड़ित लड़के की न सिर्फ बुरी तरह पिटाई की, बल्कि गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म भी किया।
कार्रवाई के नाम पर आरोपी लड़कों को किया गया निलंबित
यह घटना इसी महीने की है। आरोप है कि पिछले महीने भी पीड़ित बच्चे से उन्हीं छात्रों ने दुष्कर्म किया था। मगर मामले ने तूल तब पकड़ा, जब पीड़ित बच्चे और उसके परिजनों ने इसकी शिकायत पुलिस के पास दर्ज कराई। अब कार्रवाई के नाम पर फिलहाल आरोपी लड़कों को पंद्रह दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है। हैरानी की बात है कि एक ही बच्चे के खिलाफ एक महीने में दो बार आपराधिक कृत्य को अंजाम दिया गया और विद्यालय प्रशासन की नींद तब खुली, जब पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई गई।
स्कूल और छात्रावास में नियम-कायदों के पालन में घोर लापरवाही बरती गईं
घटना का जो ब्योरा सामने आ सका है, उससे साफ है कि स्कूल और छात्रावास में नियम-कायदों का पालन, अनुशासन आदि सुनिश्चित कराने को लेकर घनघोर लापरवाही बरती गई। इसका खमियाजा एक बच्चे को भुगतना पड़ा। सवाल है कि स्कूल प्रबंधन, प्रधानाध्यापक और छात्रावास प्रभारी अपने किस तरह के दायित्व-निर्वहन में लगे हुए थे कि आठ बच्चे अपराधियों की तरह संगठित तरीके से अपने एक सहपाठी को प्रताड़ित कर रहे थे और लगातार इसकी अनदेखी की जा रही थी। यह स्थिति तब थी, जब खबरों के मुताबिक पीड़ित छात्र ने अपने वर्ग-शिक्षक से इस बारे में शिकायत भी की थी।
कार्रवाई के दायरे में स्कूल प्रबंधन और शिक्षक को भी लाया जाना चाहिए
जब दुबारा उसके खिलाफ आपराधिक आचरण किया गया, तब उसके परिजनों ने पुलिस के पास मामला दर्ज कराया। आखिर किन वजहों से स्कूल प्रबंधन या सबंधित शिक्षक की ओर से इस तरह के मामले की अनदेखी या फिर इसे दबाने की कोशिश की गई! इस मामले में आरोपी छात्रों के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन और संबंधित शिक्षकों को भी कार्रवाई के दायरे में क्यों नहीं लाया जाना चाहिए?
यों देश भर में स्कूलों से आए दिन बच्चों को किसी शिक्षक द्वारा मामूली बातों पर सजा या यातना दिए जाने की खबरें आती रहती हैं। हालांकि आवासीय नवोदय विद्यालयों को पठन-पाठन से लेकर छात्रावासों तक के स्तर पर अपेक्षया बेहतर माना जाता है। मगर शामली नवोदय विद्यालय के छात्रावास से एक बच्चे के खिलाफ जैसी घटना सामने आई, वह सोचने को विवश करती है कि क्या इस स्तर के किसी स्कूल परिसर में पढ़ने वाले कम उम्र के बच्चे भी बाकायदा गिरोह बना कर आपराधिक हरकतें करने में लिप्त रहने लगे हैं!
जाहिर है, यह न केवल इस तरह की हरकतों की अनदेखी का मामला है, बल्कि यह एक बड़ी विडंबना है कि विद्यालय परिसर में पठन-पाठन के बजाय इस तरह के अपराधों के प्रति कम उम्र के बच्चे प्रवृत्त हो रहे हैं। किसी स्कूल परिसर में यह कैसी संस्कृति का विकास हो रहा है? बच्चे इसकी चपेट में कैसे और किन माध्यमों से आ रहे हैं? सही है कि सभी बच्चे ऐसे नहीं होते हैं, लेकिन अगर एक घटना में आठ बच्चे संगठित होकर वयस्क अपराधियों की तरह किसी अपराध को अंजाम देते हैं तो यह बाकी तमाम बच्चों के लिहाज से चिंता की बात है।