यह बेहद अफसोसनाक है कि दिल्ली जैसे शहर में कुछ मशहूर कोचिंग संस्थान भी अपने प्रचार में भ्रामक बातों का सहारा लेकर विद्यार्थियों को दाखिला लेने के लिए आकर्षित करते हैं। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए पहले भी कार्रवाई की थी, लेकिन कई कोचिंग संस्थानों ने अपने प्रचार में भ्रम परोसना जारी रखा। अब एक बार फिर प्राधिकरण ने भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए दिल्ली स्थित एक जाने-माने कोचिंग संस्थान पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
संभव है कि भारी कमाई करने वाले किसी संस्थान के लिए यह रकम बहुत बड़ी न हो, लेकिन इस जुर्माने से यह एक बार फिर स्पष्ट होकर सामने आया है कि इस तरह के संस्थान सार्वजनिक रूप से झूठे आंकड़े रखते हैं और विद्यार्थियों को बरगलाते हैं। गौरतलब है कि प्राधिकरण ने जिस संस्थान पर जुर्माना लगाया, उसने अपने विज्ञापन में संघ लोक सेवा आयोग की एक परीक्षा में दो सौ सोलह उम्मीदवारों के नाम और तस्वीरों के साथ उनके चयन का दावा किया था। जबकि प्राधिकरण की जांच में इस दावे को गुमराह करने वाला पाया गया। सवाल है कि इस तरह का भ्रम परोसने की जरूरत किसी संस्थान को क्यों पड़ती है?
झूठ की बुनियाद पर टिके होते हैं संस्थान
दरअसल, पिछले कुछ दशकों के दौरान ज्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थान में दाखिला लेकर तैयारी करना एक आम चलन हो चुका है। इसके लिए प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले ज्यादातर युवा किसी संस्थान का चुनाव करने के मामले में काफी हद तक उसके बारे में प्रचारित बातों से प्रभावित होते हैं। किसी कोचिंग संस्थान में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में प्रचार के आकर्षण की बड़ी भूमिका होती है। इसी क्रम में कुछ संस्थान अपने बारे में किए गए प्रचार में जिन बातों का सहारा लेते हैं, उनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जो झूठ की बुनियाद पर टिके होते हैं।
ज्यादातर शर्तें इजराइल के पक्ष में है इसलिए बनी बात, गाजा पर हो रहे हमले होंगे समाप्त
मसलन, प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग की खोज करते विद्यार्थियों को यह बताना कि उस संस्थान में पढ़ने के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने सफलता प्राप्त की। जाहिर है, ऐसी बातों से युवा आकर्षित होंगे, लेकिन सवाल है कि भ्रम की बुनियाद पर चलने वाले कोचिंग संस्थान अपने बारे में कैसा मानक सामने रख रहे हैं!