पिछले कुछ वर्षों से भारतीय शतरंज का एक सुनहरा दौर चल रहा है और इसने वैश्विक स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में अपनी अच्छी दखल दर्ज की है। इसी क्रम में सोमवार को जार्जिया के बातूमि में खेले गए फिडे महिला विश्व कप शतरंज, 2025 में दिव्या देशमुख ने भी एक शानदार अध्याय जोड़ा है। विश्व कप में हमवतन कोनेरू हम्पी को हरा कर बाजी मारने और इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता का खिताब अपने नाम करने के साथ ही सिर्फ उन्नीस वर्ष की उम्र में दिव्या ने ग्रैंडमास्टर का तमगा भी हासिल कर लिया।
हालांकि इस प्रतियोगिता की शुरूआत में इस बारे में किसी के लिए सोचना भी मुश्किल था। अब दिव्या महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। इसके अलावा, वे ग्रैंडमास्टर बनने वाली सिर्फ चौथी खिलाड़ी हैं। इस खिताबी मुकाबले को दो पीढ़ियों के बीच संघर्ष के तौर पर देखा जा रहा था, जिसमें दिव्या ने अपने से दोगुनी उम्र की अनुभवी और कई अहम खिताब जीतने वाली हम्पी को हरा दिया। हालांकि कोनेरू हम्पी ने फाइनल में जगह बनाने के बाद ही यह कह दिया था कि अंतिम मुकाबला बहुत मुश्किल होने वाला है, क्योंकि दिव्या ने इस विश्व कप में बहुत ही उम्दा प्रदर्शन किया है। जाहिर है, दिव्या की इस जीत की जमीन पहले ही बन चुकी थी।
दो बार विश्व रैपिड शतरंज का खिताब जीत चुकी हैं हम्पी
गौरतलब है कि एक ओर हम्पी दो बार विश्व रैपिड शतरंज का खिताब जीत चुकी हैं, तो दिव्या ने भी कई शानदार कामयाबियों के अलावा 2023 में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब हासिल किया था और पैंतालीसवें शतरंज ओलंपियाड में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। यानी कहा जा सकता है कि इस बार विश्वकप जीतने से पहले दिव्या ने शतरंज की दुनिया में अपने लिए एक मजबूत जगह बना ली थी, जहां उनसे उम्मीदें बढ़ गई थीं।
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अब उनकी इस जीत से निश्चित तौर पर शतंरज प्रतियोगिताओं की वैश्विक बिसात पर भारत की मजबूत जगह बनी है। पिछले साल चार भारतीय पुरुष खिलाड़ियों- डी गुकेश, अर्जुन एरिगेसी, आर प्रज्ञानानंद और अरविंद विश्व शतरंज की शीर्ष दस की रैंकिंग में शामिल हो गए थे। अब दिव्या की जीत को भी शतरंज में भारतीय कामयाबी की एक कड़ी और भविष्य की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है।