अपना घर-बार छोड़ कर दूसरी जगह ठिकाना तलाशने की मजबूरी जीवन की डगर को और कठिन बना देती है। ऐसे लोगों के पास विस्थापन का दर्द झेलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाता है। यह किसी एक देश की बात नहीं है, बल्कि दुनिया भर में विभिन्न कारणों से विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजंसी की एक रपट के मुताबिक, दुनिया में जबरन विस्थापितों का आंकड़ा 12.2 करोड़ से अधिक हो गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 लाख अधिक है और बीते दशक की अपेक्षा लगभग दोगुना है। संयुक्त राष्ट्र की रपट में कहा गया है कि लोगों के विस्थापन के लिए युद्ध, आंतरिक हिंसा और उत्पीड़न मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
गौरतलब है कि वर्तमान में दुनिया में मुख्य रूप से दो मोर्चों पर आमने-सामने का युद्ध हो रहा है, वह है रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास। रूस और यूक्रेन के बीच तो लंबे समय से संघर्ष चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग हताहत भी हुए हैं। निकट भविष्य में इस युद्ध का अंत होने के आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं। इस कारण यूक्रेन में 88 लाख लोगों को अपना घर-बार व जमीन-जायदाद छोड़ कर दूसरी जगह जाना पड़ा है। वहीं, इजराइल-हमास के बीच युद्ध में ईरान का हस्तक्षेप भी किसी से छिपा नहीं है। दूसरी ओर, सीरिया एक दशक से अधिक समय से गृहयुद्ध झेल रहा है, जिस कारण वहां भी बड़ी संख्या में लोगों को विस्थापन का दर्द झेलना पड़ रहा है।
रपट के मुताबिक, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की संख्या पिछले वर्ष के अंत में नौ फीसद से बढ़ कर 7.35 करोड़ हो गई है। गृहयुद्ध से जूझ रहा सूडान तो दुनिया के सबसे बड़े विस्थापन संकट का केंद्र बन गया है, जहां संघर्ष के कारण 1.4 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। यह सीरिया के 1.35 करोड़ विस्थापितों से अधिक हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान में एक करोड़ से अधिक लोगों को जबरन विस्थापित किया गया है। हालांकि, इस मामले में भारत की स्थिति में कुछ सुधार हुआ है। जिनेवा स्थित आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र की एक हालिया रपट के मुताबिक, भारत में वर्ष 2024 में हिंसा के कारण 1,700 लोग विस्थापित हुए, जो 2023 में विस्थापित लोगों की संख्या से कम हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत में इस मामले में भविष्य में और सुधार होगा।
विस्थापन का एक पहलू यह भी है कि इन लोगों को खाद्य संकट और कुपोषण का भी शिकार होना पड़ रहा है। विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की रपट के अनुसार, दुनिया भर में कुल विस्थापितों में से 9.5 करोड़ ऐसे देशों में रह रहे हैं, जहां पहले से ही खाद्य संकट गहराया हुआ है, जैसे कि कांगो, कोलंबिया, सूडान और सीरिया। करीब 20 देशों में 14 करोड़ लोग युद्ध और हिंसा के कारण भोजन की कमी से जूझ रहे हैं। इससे स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र और कुछ अंतरराष्ट्रीय सहायता एजंसियां विस्थापित लोगों की मदद का प्रयास करती रही हैं, लेकिन वित्तीय कोष के अभाव में उनके ये प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।