इजरायल पर हमास के हमले के बाद युद्ध की जटिल होती तस्वीर में अब गाजा पट्टी में जैसे हालात पैदा हो गए हैं, वह समूची दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। विडंबना यह है कि युद्ध में शामिल सभी पक्ष बढ़-चढ़ कर दावा यही करते हैं कि वे इंसानियत को बचाने के लिए दुश्मन से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सच यह है कि किसी भी पक्ष के हमले में आम लोग मरते हैं और सबसे ज्यादा नुकसान मानवता को ही पहुंचता है।
मंगलवार को गाजा पट्टी के एक अस्पताल पर जैसा हमला हुआ, उसकी आशंका किसी को नहीं थी, क्योंकि अस्पतालों को युद्ध के सबसे विकट समय में भी एक सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है। गौरतलब है कि गाजा सिटी के अल-अहली अरब बैप्टिस्ट अस्पताल पर राकेट से हुए हमले में कम से कम पांच सौ लोगों के मारे जाने की खबर आई।
हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह हमला किसने किया, लेकिन जब इस मामले ने तूल पकड़ लिया, तब इजरायल ने इसमें अपना हाथ होने से इनकार किया और इसके लिए गाजा पट्टी में छिप कर वार कर रहे हमास को जिम्मेवार ठहराया। इससे पहले हमास और फिलिस्तीनी प्रशासन ने इस हमले का सीधा आरोप इजराइल पर लगाया था।
सवाल है कि गाजा पट्टी में अस्पताल पर हुए हमले में पांच सौ से ज्यादा लोगों को क्यों मार डाला गया? उनका क्या दोष था? यह सवाल किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को परेशान करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि इस हमले में शामिल लोगों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
त्रासदी यह है कि इजराइल और हमास के बीच शुरू हुए ताजा टकराव के बाद दोनों पक्षों के हमले में आमतौर पर निर्दोष नागरिक ही मारे जा रहे हैं, लेकिन इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। अब तक इस जंग में लगभग पांच हजार लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन गाजा सिटी में अस्पताल पर हुए हमले ने सबको यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर युद्ध में शामिल सभी पक्षों का मकसद क्या होता है! इस हमले के बाद ये सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या इसे युद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा जाएगा!
दरअसल, युद्ध अपराध एक संगीन आरोप माना जाता है और ऐसे मामलों में अंतरराष्ट्रीय कानून काम करता है। हालांकि इसकी जांच करना और वास्तविक अपराधियों को सजा दिलाना एक जटिल काम रहा है, फिर भी गाजा पट्टी में अस्पताल पर हमले के लिए जिसे भी जिम्मेदार माना जाएगा, उस पर अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत युद्ध अपराध का आरोप लग सकता है।
इजरायल पर हमास के हमले के बाद जारी युद्ध में दोनों पक्षों पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों को ताक पर रखने के आरोप लगे हैं और संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि वह इसकी जांच कर रहा है। छोटे विवाद से लेकर बड़े स्तर पर जंग की स्थिति में जेनेवा सम्मेलन के तहत न केवल अपने पक्ष के, बल्कि विरोधी सेनाओं के बीमारों, घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार और उनके इलाज का नियम बनाया गया है।
मगर इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध में आम लोगों पर हमले से लेकर गाजा पट्टी में एक बड़ा इलाका खाली कराने, जीवन से संबंधित जरूरी चीजों को बाधित करने जैसी घटनाएं सामने आई हैं, वे यही बताती हैं कि सभ्य होने का दावा करती दुनिया में भी युद्ध के दौरान नियम-कायदों का ध्यान रखना शायद किसी के लिए प्राथमिक दायित्व नहीं होता। इसकी कीमत उन लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है, जो पूरी तरह निर्दोष होते हैं।