आमतौर पर किसी सामाजिक कुरीति का विरोध, उसे खत्म करने के लिए पहल की उम्मीद उम्र और समझ के स्तर पर परिपक्व माने जाने वाले लोगों से की जाती है। मगर नोएडा में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली कुछ बच्चियों ने बाल विवाह जैसी कुप्रथा की शिकार हो रही एक बच्ची को बचाने के लिए जैसी हिम्मत दिखाई, वह उनकी जागरूकता का एक बेहतरीन उदाहरण है। हाल ही में नोएडा के एक सरकारी स्कूल में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा जब उदास दिखी, तो उसकी कुछ सहपाठियों ने इसका कारण पूछा। पता चला कि उसकी शादी जबरन कराई जा रही है, जबकि वह अभी पढ़ना चाहती है।
सहपाठियों ने स्कूल के शिक्षकों को दी जानकारी
इसके बाद उसकी सहपाठियों ने स्कूल के शिक्षकों और प्रबंधन को इस बारे में जानकारी दी। फिर स्कूल प्रबंधन ने इस बात की सूचना बच्चों के लिए जारी हेल्पलाइन और पुलिस को दी। पता चलते ही पुलिस ने ऐन मौके पर पहुंच कर शादी रुकवाई और आरोपियों को पकड़ा। अब वह छात्रा फिर पहले की तरह अपनी पढ़ाई कर रही है।
इस घटना की अहमियत इस रूप में है कि जिन कुरीतियों को खत्म करने की जिम्मेदारी समाज और परिवार के वयस्कों और बुजुर्गों की होनी चाहिए, उसे रोकने के लिए बच्चों ने पहल की।
यह छिपा नहीं है कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा की वजह से कितनी बच्चियों का जीवन एक तरह से बर्बाद हो जाता है। उनकी पढ़ाई-लिखाई छूट जाती है, उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। इसका असर समूचे समाज के ढांचे पर पड़ता है, जिसमें स्त्री-पुरुष के बीच कई स्तर पर खाई पैदा होती है। कानूनी रूप से प्रतिबंधित होने के बावजूद अक्सर बाल विवाह के मामले सामने आते रहते हैं।
दरअसल, ज्यादातर कुप्रथाएं इसीलिए चलन में रहती हैं कि समाज और परिवार के जिम्मेदार लोग ही उसे संरक्षण देते या उसकी अनदेखी करते हैं। मगर नोएडा में स्कूली बच्चियों ने अपनी एक सहपाठी के लिए जो किया, उससे उम्मीद बंधती है कि लोग अपने आसपास अनुचित और गलत रिवाजों के विरोध को लेकर मुखर होंगे और इस तरह बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को जड़ से खत्म करने में मदद मिलेगी।