चंडीगढ़ देश का एक नियोजित शहर है, यहां की सड़कों से लेकर आवासीय क्षेत्रों को व्यवस्थागत तरीके से विकसित किया गया है। रहने की लिहाज से यह शहर आज भी लोगों की प्राथमिकता सूची में दर्ज है। इसकी सूरत तो आज भी आकर्षक बनी हुई है, लेकिन सीरत पिछले कुछ वर्षों से बदल रही है। जिस शहर को कभी शांतप्रिय माना जाता था, अब वहां अराजकता के पांव पालने से बाहर आने लगे हैं।

गिरोहबाज बेखौफ होकर सड़कों पर अपराध को अंजाम देने लगे हैं। चंडीगढ़ के सेक्टर-26 में सोमवार की रात एक व्यक्ति की सरेआम गोली मार कर हत्या कर देने की वारदात से शहर की कानून व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि यह घटना गिरोहबाजों की आपसी रंजिश का परिणाम हो सकती है, क्योंकि मृतक व्यक्ति कभी गिरोहबाज लारेंस बिश्नोई का करीबी हुआ करता था और अब वह किसी दूसरे गिरोह के लिए काम कर रहा था।

गौरतलब है कि गिरोहबाज लारेंस बिश्नोई पिछले काफी समय से जेल में बंद हैं और अब उसके भाई अनमोल बिश्नोई को भी सुरक्षा एजंसियों ने अमेरिका से प्रत्यर्पित कर गिरफ्तार कर लिया है। ऐसी खबरें भी आई हैं कि लारेंस जेल से ही अपने गिरोह को संचालित कर रहा है। अगर ऐसा है तो यह भी संभव है कि इसमें कई स्तरों पर लापरवाही बरती जा रही हो या फिर सुरक्षा एजंसी के कर्मियों की मिलीभगत हो।

चंडीगढ़ में जो वारदात हुई है, उसने भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया है। अपराधियों ने सड़क पर खुलेआम गोलियां चलाकर इस वारदात को अंजाम दिया और फरार हो गए। आखिर क्या वजह है कि चंडीगढ़ जैसे शहर में भी अपराधी इस तरह सड़कों पर बेखौफ घूम रहे हैं?

पुलिस के मुताबिक, मृतक सेक्टर-33 में ही रहता था और उसके खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। सवाल है कि अगर वह वांछित अपराधी था और शहर में ही रह रहा था, तो पुलिस अब तक उसे अपनी गिरफ्त में क्यों नहीं ले पाई? जाहिर है कि स्थानीय पुलिस तंत्र में ही खामियां हैं और जब तक इन्हें दुरुस्त नहीं किया जाएगा, तब तक शहर की कानून व्यवस्था भी पंगु बनी रहेगी।