भारतीय युवाओं में विदेश जाकर पढ़ाई करने और वहीं कोई अच्छा रोजगार तलाश लेने की प्रवृत्ति पिछले कुछ समय से काफी बढ़ी है। इसके लिए भारतीयों के पसंदीदा देशों में कनाडा भी शामिल है। हर वर्ष बड़ी संख्या में भारतीय युवा वहां पढ़ाई करने जाते हैं। वहां छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ अस्थायी तौर पर नौकरी भी मिल जाती है। मगर, अब कनाडा सरकार ने अपनी आव्रजन नीति में बदलाव कर दिया है, जिससे वहां रह रहे भारत समेत अन्य देशों के विद्यार्थियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। इनमें से बहुत से युवाओं को निर्वासन की चिंता सताने लगी है।

कनाडा की बढ़ती आबादी और बेरोजगारी दर नियंत्रण के लिए उठाया कदम

इसके विरोध में सैकड़ों भारतीय छात्र कनाडा की सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, कनाडा सरकार ने अब उन क्षेत्रों में विदेशी कामगारों को ‘परमिट’ न देने का फैसला किया है, जहां बेरोजगारी दर छह फीसद या उससे ज्यादा है। कम वेतन वाली अस्थायी नौकरियों के लिए ‘परमिट’ दो के बजाय अब एक वर्ष के लिए जारी होंगे। इसका मकसद कनाडा की बढ़ती आबादी और बेरोजगारी दर को नियंत्रित करने के लिए अप्रवासियों की संख्या को सीमित करना है।

कनाडा की नई आव्रजन नीति का सबसे ज्यादा असर भारतीय छात्रों पर पड़ेगा। जो छात्र पढ़ाई के साथ-साथ अस्थायी नौकरी कर रहे हैं, उनके ‘परमिट’ की अवधि जल्द खत्म हो जाने से उन्हें अपना खर्चा जुटाना मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए भारतीय छात्र कनाडा में जगह-जगह प्रदर्शन कर नई आव्रजन नीति का विरोध कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि इस वर्ष के अंत में जब छात्रों के ‘वर्क परमिट’ समाप्त हो जाएंगे, तो उन्हें निर्वासित किया जा सकता है। वैसे यह पहली बार नहीं है, जब कनाडा में भारतीय विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।

कभी नस्लीय हिंसा, कभी आतंकी गतिविधियों, तो कभी वीजा एजंटों की धोखाधड़ी की वजह से वहां भारतीय छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी होती रही हैं। भारत सरकार को इस पक्ष पर गंभीरता से विचार करना होगा कि जिन सुविधाओं और बेहतर भविष्य की चाह में युवा विदेश जाते हैं, क्यों न उन्हें अपने देश में ही वह सब उपलब्ध कराया जाए। इससे भारत से बौद्धिक पलायन भी काफी हद तक रुकेगा।