आजकल किसी देश की सामरिक शक्ति का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाता है कि उसकी वायुसेना के बेडे़ में कितने अत्याधुनिक युद्धक विमान हैं, कितनी दूर तक मिसाइलें दागने और दुश्मन की मिसाइलों को भेदने की उसकी क्षमता है। युद्ध क्षेत्र में वह कितनी तेजी से अपने सैनिकों की तैनाती कर सकता है, हथियारों और गोला-बारूद की पहुंच सुनिश्चित कर सकता है। इस मामले में भारतीय वायुसेना की सामर्थ्य लगातार बढ़ रही है। सी-295 विमानों को अपने ही देश में तैयार करने की सरकार की तैयारी इसका अगला चरण है।

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वायुसेना को लंबे समय से शिकायत रही है कि उसके बेड़े में युद्धक और मालवाहक विमान पुराने पड़ चुके हैं, जिसके चलते वह अपने दुश्मन को ठीक से चुनौती दे पाने में सक्षम नहीं है। इसी के मद्देनजर रफाल विमानों की खरीद की गई थी। स्वदेशी तकनीक से हथियारों के निर्माण पर बल दिया गया। अब छप्पन सी-295 विमानों के निर्माण से वायुसेना को आयुध सामग्री पहुंचाने, सैनिकों और चिकित्सा सुविधाओं की त्वरित व्यवस्था सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी।

पहली बार प्राइवेट कंपनी करेगी निर्माण

पहली बार है, जब कोई निजी कंपनी भारत में वायुसेना के लिए विमान का निर्माण करेगी। स्पेन की कंपनी एअरबस के साथ टाटा ने समझौता कर इन विमानों के निर्माण की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इसकी निर्माण इकाई का उद्घाटन भी कर दिया है। इस विमान की खासियत यह है कि इसे उतरने और उड़ान भरने के लिए बहुत छोटी हवाई पट्टी की जरूरत होगी। यानी दुर्गम पहाड़ी जगहों पर भी इसे उतारा जा सकता है।

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यह तिहत्तर सैनिकों या फिर नौ टन वजन की सामग्री लेकर उड़ान भर सकता है। इसमें आठ सौ किलोग्राम वजन के हथियार भी लगाए जा सकते हैं। यह लगातार ग्यारह घंटे तक उड़ान भर सकता है और इसमें हवा में ईंधन भरा जा सकता है। इस शृंखला के सोलह विमान स्पेन में तैयार होंगे और बाकी चालीस गुजरात के वडोदरा में बनाए जाएंगे।

स्वाभाविक ही इन विमानों के वायुसेना के बेड़े में शामिल होने से सेना का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि पड़ोसी देशों से मिलने वाली चुनौतियों से निपटने में भी काफी आसानी होगी।