भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह अब भी अपने बचाव में ऐसी लचर दलीलें देने से बाज नहीं आ रहे, जो शायद ही किसी के गले उतरती हों। दिल्ली की एक अदालत में उन्होंने कहा कि बिना यौन मंशा के किसी महिला को गले लगाना या स्पर्श करना अपराध नहीं है। उनकी दलील है कि चूंकि कुश्ती महासंघ में ज्यादातर प्रशिक्षक पुरुष होते हैं और वे जीत की खुशी या किसी महिला खिलाड़ी के बेहतर प्रदर्शन पर उत्साह में उसे गले लगा लेते हैं, तो इसे अपराध नहीं माना जा सकता।
गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने अपने आरोप पत्र में स्पष्ट कहा था कि यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ और पीछा करने जैसे कृत्य के लिए बृजभूषण शरण सिंह को सजा सुनाई जा सकती है। छह महिला पहलवानों की शिकायत की गहन जांच के बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ दंडात्मक धाराएं लगाई हैं। उसी मामले में अदालत में सुनवाई चल रही है, जिसे भटकाने की कोशिश बृजभूषण शरण सिंह कर रहे हैं।
छिपी बात नहीं है कि महिला पहलवानों ने यह शिकायत इस साल फरवरी में ही की थी और इसकी जांच की मांग लेकर धरने पर बैठ गई थीं। तब खेल मंत्रालय ने एक जांच समिति गठित कर दी थी।
हालांकि महिला पहलवानों को सरकार द्वारा गठित जांच समिति से कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई थी। उसने जांच के बजाय पहलवानों को ही समझाने-बुझाने का प्रयास किया था। इससे नाराज होकर पहलवान फिर से आंदोलन पर उतर आए थे, जिसे कुचलने का भरसक प्रयास किया गया और अंतत: उसे कुचल ही दिया गया। मगर उन्होंने हार नहीं मानी और अदालत पर भरोसा किया।
अब भी वे इस संबंध में प्रेस से बातचीत का सिलसिला बनाए हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि न्याय मिलेगा। मगर जिस तरह शुरू से ही बृजभूषण शरण सिंह अपने ऊपर लगे आरोपों को दफन करने की हर कोशिश करते आए हैं, उससे खिलाड़ियों को उनके हर कदम पर नजर रखना जरूरी लगता है।
सरकार भी खिलाड़ियों के बजाय बृजभूषण के पक्ष में खड़ी नजर आती रही। वे लगातार खिलाड़ियों के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां भी करते रहे। अब जब मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है, वे बेतुकी दलीलें देकर उसे गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं।
बृजभूषण पर स्पष्ट रूप से यौन उत्पीड़न, छेड़खानी और पीछा करने के आरोप हैं। पुलिस ने बहुत सारे खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और दूसरे सहयोगी कर्मचारियों से पूछताछ के बाद इन आरोपों की पुष्टि की है। ऐसे में बृजभूषण शरण सिंह की यह दलील कि बिना यौन इरादे के महिला को छूने या गले लगाने को अपराध नहीं माना जा सकता।
इसी तरह पहले उन्होंने कहा था कि महिला खिलाड़ियों के पेट और छाती पर हाथ रख कर वे उनकी सांसों की गति देख रहे थे। इस तरह की दलीलों से एक प्रकार से वे यह तो स्वीकार करते हैं कि उन्होंने खिलाड़ियों को गले लगाया, उन्हें छुआ और पीछा भी किया। फिर वे खुद यह कैसे कह सकते हैं कि उनका इरादा नेक था।
महिलाएं तुरंत भांप जाती हैं कि उन्हें किसने किस इरादे से छुआ है। छूने के तरीके से ही किसी का इरादा पता चल जाता है। फिर यौन उत्पीड़न का मामला बिना गलत इरादे के तो बन नहीं सकता। इसलिए बृजभूषण शरण सिंह से अपेक्षा की जाती है कि अदालत को तय करने दें कि वास्तव में उनका इरादा क्या था।