अहमदाबाद में पिछले माह हुए बोइंग विमान हादसे की प्रारंभिक जांच रपट ने शासन एवं प्रशासनिक अमले की आंख खोल दी है। जांच रपट में कहा गया था कि हादसे के वक्त विमान के दोनों ईंधन नियंत्रण स्विच बंद हो गए थे। विमानन नियामक डीजीसीए ने अब इस पर गंभीरता दिखाते हुए एअरलाइन कंपनियों से अपने बोइंग 787 और 737 विमानों में ईंधन स्विच प्रणाली की जांच करने को कहा है।

कुछ विमानन कंपनियों ने तो इन दिशा-निर्देशों से पहले ही अपने विमानों की जांच शुरू कर दी थी। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि विमानन नियामक व संबंधित कंपनियों ने जो सतर्कता एवं गंभीरता हादसे के बाद दिखाई है, क्या वह पहले अनुपस्थित थी। अगर नहीं, तो इसकी जरूरत अब क्यों पड़ी? फिर क्या अनिवार्य तौर पर एहतियात बरतने की यह प्रणाली भविष्य में भी सुचारु रहेगी? यह सवाल इसलिए भी अहम है कि आमतौर पर किसी हादसे के सबक का असर प्रबंधकीय तंत्र पर ज्यादा दिन तक नहीं रहता और व्यवस्था फिर उसी ढर्रे पर चलने लगती है।

प्रारंभिक जांच रपट में ईंधन स्विच बंद होने की बात कही गई

अहमदाबाद विमान हादसे को लेकर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की प्रारंभिक जांच रपट में कहा गया था कि एअर इंडिया के विमान बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के दोनों ईंधन नियंत्रण स्विच अचानक बंद हो गए थे। रपट में ‘काकपिट वायस रेकार्डिंग’ के हवाले से यह भी कहा गया कि विमान के एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि ईंधन स्विच बंद क्यों किया, तो जवाब मिला कि उन्होंने ऐसा नहीं किया।

हालांकि, यह आशंका भी जताई जा रही है कि हो सकता है पायलट ने गलती से ईंधन नियंत्रण स्विच बंद कर दिए हों। मगर, विमानन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ इन आशंकाओं को यह कहकर खारिज कर रहे हैं कि पायलट के लिए इस स्विच को गलती से बंद कर देना आसान नहीं, क्योंकि इसमें ‘मैकेनिकल गेट’ लगा होता है। यानी प्रारंभिक जांच रपट में सवाल तो उठाए गए हैं, लेकिन उनका जवाब आगे की जांच पर छोड़ दिया गया है।

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जांच रपट में एक और हैरान कर देने वाला खुलासा किया गया है कि हादसे का शिकार हुए विमान की ईंधन नियंत्रण स्विच प्रणाली की उड़ान से पहले जांच नहीं की गई थी, क्योंकि यह कभी अनिवार्य नहीं था और वर्ष 2023 से ईंधन नियंत्रण स्विच से संबंधित कोई दोष भी सामने नहीं आया। जबकि अमेरिकी नियामक संघीय विमानन प्रशासन ने (एफएए) ने वर्ष 2018 में 787 और 737 सहित बोइंग विमानों के कुछ माडल में ईंधन स्विच प्रणाली में खराबी की आशंका का संकेत दिया था। मगर हादसे की प्रारंभिक जांच रपट में कहा गया है कि इस सूचना में कोई ऐसा संकेत नहीं था, जिससे यह मुद्दा सुरक्षा संबंधी चिंता का विषय लगे।

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ऐसे में यह सवाल अहम है कि जब नियमानुसार उड़ान से पहले विमान के बाकी सभी उपकरणों व प्रणालियों की जांच की जाती है तो इस दौरान एहतियाती तौर पर ईंधन नियंत्रण स्विच प्रणाली की जांच भी जरूरी क्यों नहीं हो? भारतीय विमानन कंपनियां 150 से अधिक बोइंग 737 और 787 विमानों का संचालन करती हैं।

ऐसे में इस प्रणाली की जांच के महत्त्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि डीजीसीए के ताजा दिशा-निर्देशों पर गंभीरता से अमल होगा और विमान यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाने की दिशा में बेहतर उपाय किए जाएंगे।