मनराज ग्रेवाल शर्मा (इंडियन एक्सप्रेस)
शिरोमणि अकाली दल के पूर्व मंत्री और सुखबीर सिंह बादल के साले बिक्रम सिंह मजीठिया तीन साल पहले, मार्च 2018 में अखबारों की सुर्खियों में थे। उस समय दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने मजीठिया पर ड्रग्स केस में आरोप लगाए थे, जिसके बाद मजीठिया ने उन्हें कोर्ट में घसीट दिया था। बाद में केजरीवाल को उनके माफ मांगनी पड़ी थी। अब 2021 में पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के कार्यकाल में वही मामला दोबारा मजीठिया के लिए मुसीबत बन गया है, जिसक खुलासा पहली बार 2014 में हुआ था।
किसने लिया था मजीठिया का ड्रग रैकेट में नाम?
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 2014 में अर्जुन अवॉर्डी रेसलर और पंजाब पुलिस में डीएसपी जगदीश भोला ने ड्रग्स रैकेट में मजीठिया का नाम लिया। भोला का दावा सियासी गलियारों में हलचल मचा गया। मजीठिया के पर ये बेहद गंभीर आरोप उनके सियासत में आने के 7 साल बाद लगे। मजीठिया साल 2007 में राजनीति में आए थे, उस वक्त उन्होंने अमृतसर की विधानसभा सीट मजीठा से चुनाव जीता था। मजीठिया की बड़ी बहन हरसिमरत बादल ने उस समय अपने भाई के लिए घर-घर जाकर प्रचार किया था। हरसिमरत कौर उस समय फरीदकोट से सांसद थीं।
31 साल की उम्र में कैबिनेट मिनिस्टर बने थे मजीठिया
चुनाव जीतने के कुछ समय बाद ही 31 साल के मजीठिया प्रकाश सिंह बादल सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर बनाया गया। दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले मजीठिया संभवत: अकाली-बीजेपी सरकार में सबसे युवा मंत्री बने। उस समय अकाली दल और बीजेपी की ओर से ज्यादातर मंत्री बुजुर्ग ही थे।
विधानसभा में अकाली दल का सबसे बड़ा चेहरा थे मजीठिया
विधानसभा में विपक्ष को मुंहतोड़ जवाब देने की जब भी बात आती तो शिरोमणि अकाली दल की ओर मजीठिया ही कमान संभाला करते थे। नवजोत सिंह सिद्धू जब कांग्रेस में आ गए तब भी मजीठिया ही उन्हें आड़े हाथों लिया करते थे। उस समय पंजाब की सियासत में मजीठिया की तूती बोला करती थी। राजनीतिक गलियारों में तब ये चर्चा आम हुआ करती थी कि एक दिन मजीठिया शिरोमणि अकाली दल में सुखबीर बादल से भी आगे निकल जाएंगे।
नेहरू सरकार में डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर थे मजीठिया के दादा
बहुत लोग समझते हैं कि मजीठिया की पहचान बादल परिवार से है, लेकिन पंजाब की राजनीति पर पकड़ रखने वाले जानते हैं कि मजीठिया का खुद परिवार भी बड़ा सियासी रसूख रखता है। मजीठिया का परिवार बिजनेस, धर्म और राजनीति तीनों में ही जाना पहचाना नाम है। मजीठिया के पड़दादा सुंदर सिंह मजीठिया 1920 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के संस्थापक अध्यक्ष बने थे। मजीठिया के दादा 1957 से 1962 तक जवाहर लाल नेहरू की सरकार में डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर थे।
मजीठिया के परिवार ने 1935 में खरीदा था प्लेन
मजीठिया के पिता सत्यजीत सिंह ने दिल्ली, यूपी से लेकर पंजाब तक बड़े बिजनेस एम्पायर खड़ा किया। 1892 में अमृतसर के खालसा की स्थापना में मजीठिया के ही पूर्वजों की मदद से हुई थी। मजीठिया के परिवार का रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1935 में इस परिवार ने प्लेन खरीदा था। मजीठिया के बड़े भाई गुरमेहर ने जहां अपना ध्यान बिजनेस पर लगाया, वहीं मजीठिया ने सियासत में कदम रखना ठीक समझा। मजीठिया की शादी दिल्ली दिल्ली के कारोबारी की बेटी के साथ साल 2009 में हुई थी। उस समय इनकी शाही शादी के खूब चर्चे हुए थे। मजीठिया की शादी 9 तरह के कुजीन पेश किए गए थे, इनमें मजीठिया का फेवरेट इटेलियन फूड भी शामिल था।
जब सीनियर बादल ने मजीठिया से पूछा- तुम कभी जेल गए हो?
बहरहाल, 2012 में मजीठिया दोबारा विधायक बने और पार्टी में उनका कद बढ़ता चला गया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो सीनियर बादल मजीठिया से खुश नहीं थे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2013 का एक बड़ा ही रोचक किस्सा है। एनआरआई सम्मेलन चल रहा था। प्रकाश सिंह बादल सम्मेलन में मजीठिया भी बैठे हुए थे। इस दौरान अपने वक्तव्य के बीच में प्रकाश सिंह बादल ने मजीठिया से पूछा, ”क्या तुम जेल गए हो? मैं 17 साल जेल में रहा हूं। तुम्हें तो सबकुछ जमा-जमाया मिला है।” प्रकाश सिंह बादल ने मजाकिया लहजे में यह बात कही थी, जिसे सुनने के बाद सभी जोर से हंस पड़े।
जेटली के कैंपेन मैनेजर थे मजीठिया
2014 में जब जगदीश भोला ने मजीठिया के ड्रग रैकेट में शामिल होने का आरोप लगाया तब पार्टी और परिवार के अंदर सभी हैरान तो थे, लेकिन उन आरोपों से मजीठिया पर बहुत ज्यादा असर पड़ता नहीं दिखा। 2014 लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी के कद्दावर नेता अरुण जेटली को जब अमृतसर से अमरिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी मिली तब मजीठिया को ही जेटली का कैंपेन मैनेजर बनाया गया। हालांकि, जेटली चुनाव हार गए थे, लेकिन मजीठिया के क्षेत्र में पड़ने जगहों पर जेटली को अमरिंदर से ज्यादा वोट मिले थे।
बुरी तरह हारी अकाली दल, मजीठिया सीट बचा ले गए
2017 आते-आते मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स रैकेट में लगे आरोप जोर पकड़ने लगे। इस मामले को विपक्ष ने इतनी हवा दी कि 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा एजेंडा बन गया। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मजीठिया के मामले को जमकर भुनाया और सरकार में आने पर उन्हें सलाखों के पीछे डालने के चुनावी वादे तक कर डाले। इस चुनाव में अकाली दल को बुरी तरह हार मिली, लेकिन मजीठिया अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे। इसके बाद अमरिंदर सिंह सरकार सत्ता में आई, लेकिन मजीठिया के खिलाफ कोई खास एक्शन हुआ, मगर नवजोत सिंह सिद्धू के टकराव के बाद जब अमरिंदर ने इस्तीफा दिया और चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने मजीठिया के खिलाफ केस दर्ज करा दिया और अब मजीठिया को पुलिस तलाश कर रही है।
”अभी तो खेल शुरू हुआ है”
मजीठिया एक करीबी ने कहा, ”वो जंग लड़ते रहेंगे और हर आरोप का जवाब देंगे। वो अपनी ईमानदारी को साबित करके ही रहेंगे। खेल तो अब शुरू हुआ है।”