इसमें दो राय नहीं कि आधुनिक तकनीकों के फैलते दायरे के साथ सुविधाओं में तेजी से विस्तार हुआ है। बहुत सारे ऐसे काम बेहद आसान हो गए हैं, जिन्हें करने से पहले कई बार सोचना पड़ता था, काफी वक्त लगता था। मगर आम जीवन में इसकी जरूरत से ज्यादा घुसपैठ ने जिस स्तर पर लोगों को प्रभावित करना शुरू कर दिया है, उसमें कई लोगों के सामने खुद को संभालने की चुनौती खड़ी हो रही है। मसलन, सोशल मीडिया के कई मंचों को अपने संपर्कों में विस्तार करने का जरिया माना जाता है। मगर इस क्रम में बहुत सारे लोग इसका जैसा इस्तेमाल करने लगे हैं, उसमें न तो इसके उपयोग को लेकर जरूरी परिपक्वता दिखाई देती है, न ही सावधानी बरती जाती है।

वर्चुअल वर्ल्ड पर आंख मूंदकर भरोसा से बढ़े खतरे

नतीजतन, कई वैसे लोग बेहद मुश्किल में फंस जाते हैं, जो आभासी दुनिया के व्यवहारों को बिना किसी जांच-परख या संदेह के सच मान लेते हैं, अनजान लोगों पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेते हैं। पिछले कुछ समय से कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें सोशल मीडिया के मंचों पर किसी लड़के और लड़की के बीच कथित तौर पर दोस्ती हुई और कुछ समय बाद लड़की के साथ छल और आपराधिक घटना हुई।

सोशल मीडिया के जाल में फंसकर धोखा खा रहे लोग

यह आभासी दुनिया की दोस्ती का ऐसा रूप है, जिसकी जटिलता की समझ नहीं रखने वाले लोग इसके संजाल में फंस और कई बार जघन्य अपराध तक के शिकार हो जाते हैं। दिल्ली में शुक्रवार को पुलिस ने दो ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने सोशल मीडिया पर एक लड़की को दोस्ती का भरोसा दिया, मदनगीर इलाके में बुला कर धोखे से उसके खाने में कुछ मिला दिया, फिर बेहोश कर उससे बलात्कार किया।

ऐसी घटनाएं बेहद दुखद हैं, मगर ये बताती हैं कि सोशल मीडिया पर दोस्ती का दायरा कितना और कैसा हो, लोगों पर कितना भरोसा किया जाए, कैसी सावधानियां बरती जाएं और वास्तव में संबंधों की सीमा क्या हो। साइबर जगत में पैसों और अन्य स्तर पर हो रही ठगी और धोखे की घटनाओं के आगे अब अपराध का स्वरूप भी तेजी से विकृत हो रहा है और इस बारे में सभी लोगों को अपने स्तर पर जागरूक होने के साथ-साथ ज्यादा जरूरी यह है कि अपने घरों में बच्चों को सोशल मीडिया पर दोस्ती करने के मामले में सावधानी बरतने को लेकर प्रशिक्षित किया जाए।