खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला की ओंटारियों में गिरफ्तारी के बाद कनाडा सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में है। गोलीबारी की एक घटना के आरोप में अर्श को वहीं की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उसे भारत सरकार ने पिछले वर्ष वांछित आतंकवादी की सूची में डाल कर कनाडा से उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी। भारत में उस पर कई हत्याओं के आरोप हैं। वह वहां हरदीप सिंह निज्जर के लिए काम करता है। वही निज्जर जिसकी हत्या को तूल देते हुए कनाडा सरकार ने भारत से अपने रिश्ते खराब कर लिए हैं और अब भी वह भारत को उकसाने से बाज नहीं आ रहा।
भारत लगातार कहता रहा है कि कनाडा की जमीन पर कई खालिस्तानी आतंकी पनाह पाए हुए हैं और वहां से भारत में अलगाववाद को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। मगर कनाडा ने कभी भारत की किसी अपील को गंभीरता से नहीं लिया। बल्कि वह वहां खालिस्तान समर्थकों की भारत विरोधी गतिविधियों को नजरअंदाज करता रहा। निज्जर हत्या मामले में वह अभी तक कोई सबूत नहीं पेश कर सका है, मगर वह भारतीय खुफिया एजंसियों, उच्चायोग के अधिकारियों, यहां तक कि गृहमंत्री पर भी आरोप लगा चुका है।
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कनाडा को अब भी यह बात समझ नहीं आ रही कि जिन आतंकियों को वह पोस रहा है, वे अब उसके लिए ही सिरदर्द बनते जा रहे हैं। उनमें भी अब कई गुट बन गए हैं और मामूली रंजिश पर भी एक-दूसरे पर गोली चलाने से परहेज नहीं करते। उनकी आपसी रंजिश के चलते भी कई खालिस्तानी आतंकी मारे जा चुके हैं। अर्शदीप की गिरफ्तारी के बाद निज्जर समूह की करतूतों की परतें खुलनी शुरू हो गई हैं।
कनाडा अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील
यह अच्छी बात है कि कनाडा अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील है, मगर ऐसे व्यक्तियों को संरक्षण देना और उनकी सुरक्षा के नाम पर दूसरे देश के साथ अपने वर्षों पुराने रिश्ते को दांव पर लगा देना कोई अच्छी कूटनीति नहीं हो सकती, जो दूसरे देश के लिए खतरे पैदा करते हों। कनाडा इस बात से अनजान नहीं कि भारत में खालिस्तान की मांग कितना संवेदनशील मुद्दा है। दो दोस्त देश एक-दूसरे की सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता की फिक्र करते हैं। मगर कनाडा सरकार ने एक ऐसे व्यक्ति के लिए भारत के साथ बेवजह दुश्मनी का वातावरण बना दिया, जो भारत का वांछित आतंकवादी था।
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हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को कनाडा ने इतना बड़ा मुद्दा बना दिया है कि उसके लिए वह आए दिन भारत के खिलाफ कोई न कोई विवाद खड़ा करने या कड़ा कदम उठाने का प्रयास करता है। अभी उसका भारतीय छात्रों के शिक्षा संबंधी त्वरित वीजा पर पाबंदी का फैसला भी ऐसा ही कदम है। इस तरह के फैसलों से कनाडा खुद अन्य देशों की नजर में कमजोर साबित हो रहा है।
आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों के प्रति दोहरा रवैया
अर्शदीप मामले में वह क्या कहेगा, जो खुद वहां की कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर चुका है। क्या वह उसके जरिए निज्जर के खालिस्तान समर्थक तंत्र की हकीकत तलाशने का प्रयास करेगा। अगर वह सचमुच इसे लेकर गंभीर है, तो शायद अर्शदीप से उसे कई तथ्य हासिल हो सकते हैं। अगर कनाडा आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों के प्रति ऐसा ही दोहरा रवैया अपनाता रहा, तो उसकी कानून व्यवस्था संबंधी चुनौतियां बढ़ेंगी ही। इस तरह चुनाव में फायदा उठाने का जस्टिन ट्रूडो का सपना भी पूरा नहीं हो सकता।