भारतीय क्रिकेट टीम के नए मुख्य कोच के तौर पर अनिल कुंबले के नाम की घोषणा होते ही इस मामले में चली आ रही अनिश्चितता समाप्त हो गई। कुंबले का चयन बीसीसीआइ की क्रिकेट सलाहकार समिति की सलाह पर किया गया, जिसमें सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण शामिल थे। समिति की सलाह सही थी। फिरकी के जादूगर कहे जाते रहे कुंबले को मुख्य कोच चुने जाने का व्यापक रूप से स्वागत हुआ है। क्रिकेट में उनके योगदान को देखते हुए यह स्वाभाविक भी है। हालांकि कुंबले को अभी तक कोच के काम का कोई अनुभव नहीं है, पर खेल के उनके लंबे अनुभव तथा गौरवशाली उपलब्धियों को देखते हुए यह बात कोई मायने नहीं रखती। वे भारत के सबसे सफल गेंदबाज साबित हुए; भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकार्ड उन्हीं के नाम है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी गिनती दुनिया के सबसे शानदार रिकार्ड वाले गेंदबाजों में की जाती है; आस्ट्रेलिया के शेन वार्न और श्रीलंका के मुथैया मुरलीधरन के बाद अनिल कुंबले ने ही अंतरराष्ट्रीय टैस्ट व एकदिवसीय मैचों में सबसे ज्यादा विकेट लिए हैं। एक पारी में दस विकेट लेने का चमत्कार भी उनके नाम दर्ज है। ऐसे शानदार रिकार्ड वाले कुंबले को कई पुरस्कारों व सम्मानों से नवाजा गया। वर्ष 1993 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार दिया गया, 1996 में वे साल के विजडन क्रिकेटर बने, 2005 में पद्मश्री सम्मान मिला, 2015 में आइसीसी हॉल आॅफ फेम में जगह मिली। चौदह टेस्ट मैचों में कुंबले ने भारतीय टीम की कप्तानी भी की। नेशनल क्रिकेट एकेडमी और कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन की कमान संभाल चुके कुबंले के पास क्रिकेट प्रशासन का भी अनुभव है। कुंबले को अपने शालीन और संयमित व्यवहार के लिए भी जाना जाता है। दूसरी तरफ बेहद कुशल रणनीतिकार और अंत तक जूझने वाले खिलाड़ी की उनकी छवि रही।
टीम के सामने मौजूद चुनौतियों की बारीकियों में जाने और उनके अनुरूप टीम को ढालने के साथ-साथ कोच से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह टीम को पूरी तरह एकजुट रखने और विपरीत परिस्थितियों में उसका हौसला बनाए रखने में मददगार साबित होगा। जाहिर है, हर लिहाज से बीसीसीआइ ने बेहतर चुनाव किया है। अनिलकुंबले को मुख्य कोच की बागडोर ऐसे समय दी गई है जब कुछ दिनों बाद भारतीय टीम का एक बहुत व्यस्त दौर शुरू होगा। जुलाई में टीम को वेस्टइंडीज जाना है, जहां मेजबान देश के खिलाफ उसे चार टेस्ट मैच खेलने हैं। फिर स्वदेश लौटने पर न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और बांग्लादेश के खिलाफ कुल तेरह टेस्ट मैच, इसके अलावा आठ एकदिवसीय तथा तीन ट्वेंटी-ट्वेंटी खेलने हैं। अनिल कुंबले को फिलहाल एक साल के लिए मुख्य कोच की जिम्मेदारी दी गई है। बीसीसीआइ ने कहा है कि अभी एक साल का कार्यकाल पेशेवर रवैया सुनिश्चित करने के लिए रखा गया है; एक साल बाद फैसले की समीक्षा की जाएगी। पिछले बीस साल में भारत ने सात कोच आजमाए, जिनमें अंशुमान गायकवाड़ और कपिलदेव के बाद सभी विदेशी कोच रहे। पर बात विदेशी या भारतीय की नहीं, कोच के लिए जरूरी अनुभव व काबिलियत की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि कुंबले केसाथ काम करने के लिए उत्साहित दिख रही टीम उनके निर्देशन में आशाजनक प्रदर्शन करेगी।