अल कायदा से जुड़े दो आतंकियों की गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस की बड़ी कामयाबी है। इनसे पूछताछ में मिली प्रारंभिक जानकारी से कई खुलासे हुए हैं। अभी और तथ्य सामने आ सकते हैं। गिरफ्तार आतंकियों में मोहम्मद आसिफ को भारत में जेहादी तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब्दुल रहमान नाम का दूसरा आतंकी ओड़िशा के टांगी इलाके में मदरसा चलाता था और उसके जरिए जेहादी तैयार करने की मुहिम में जुटा था। इन दोनों से प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि अल कायदा की दक्षिण एशिया शाखा का सरगना सनाउल हक पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रहने वाला है और पाकिस्तान में भारतीय मूल के कम से कम पांच आतंकी अल कायदा के लिए काम कर रहे हैं। पकड़े गए दोनों आतंकियों ने भी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रशिक्षण लिया था।

जिस तरह उन्होंने अवैध तरीके से सीमा पार की और प्रशिक्षण लेकर वहां से लौटे वह खुफिया एजेंसियों को अपने कामकाज में चुस्ती लाने की जरूरत को रेखांकित करता है। बताया जा रहा है कि ये दोनों आतंकी क्रिसमस और नए साल के मौके पर दिल्ली में दहशत फैलाने की साजिश रच रहे थे। अच्छी बात है कि समय रहते दिल्ली पुलिस ने इनकी योजना भांप ली और वह सुनियोजित तरीके से इन्हें गिरफ्तार करने में सफल हुई। अगर पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच ऐसा ही तालमेल बना रहे तो आगे भी ऐसी कामयाबी की उम्मीद की जा सकती है।

आतंकवादी गतिविधियों पर नकेल कसना इसलिए भी मुश्किल होता है कि खुफिया एजेंसियों और पुलिस के बीच उचित तालमेल नहीं बन पाता। फिर दूसरे राज्यों की पुलिस के साथ सूचनाओं के आदान-प्रदान में लापरवाही की वजह से भी कई बार दहशतगर्द अपने मंसूबे को अंजाम देने में कामयाब हो जाते हैं। गिरफ्तार किए गए दोनों आतंकवादियों ने कबूल किया है कि वे अवैध तरीके से सीमा पार करके पाकिस्तान पहुंचे और वहां से प्रशिक्षण लेकर लौटे। अगर सीमा सुरक्षा बल और खुफिया तंत्र पर्याप्त चौकस होते तो दो साल पहले ही उनकी पहचान और गिरफ्तारी की जा सकती थी।

अब्दुल रहमान कटक के टांगी इलाके में काफी समय से मदरसा चला रहा था, पर हैरानी की बात है कि उसकी गतिविधियों पर वहां की पुलिस को संदेह क्यों नहीं हुआ। पिछले कई साल से यह आशंका जताई जाती रही है कि अल कायदा और आइएस भारत में भी अपना जाल फैलाने की ताक में हैं। फिर, खुफिया एजेंसियों से कहां चूक हुई कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अल कायदा के शिविरों से प्रशिक्षण प्राप्त कर आए आतंकियों के बारे में उन्हें भनक नहीं मिल पाई।