अहमदाबाद विमान हादसे के बाद स्वाभाविक ही विमानन नियामक संस्था और खुद एअर इंडिया सुरक्षा मानकों के पालन को लेकर सख्ती बरतती देखी जाने लगी हैं। इसी क्रम में नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए ने एअर इंडिया के कुछ विमानों में उड़ान नियमों के उल्लंघन का मामला चिह्नित किया है। उसने विमानन कंपनी के तीन बड़े अधिकारियों के खिलाफ आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है। जांच में पाया गया कि एअर इंडिया के दो विमानों ने लंदन के लिए उड़ान भरते समय निर्धारित समय सीमा का उल्लंघन किया।
इस पर एअर इंडिया ने कहा है कि वह सभी नियमों का सख्ती से पालन करने को प्रतिबद्ध है। पर सवाल है कि अहमदाबाद विमान हादसा हो जाने के बाद ही क्यों डीजीसीए और एअर इंडिया को नियमों के पालन, विमानों की नियमित जांच और सुरक्षा मानकों की सुध आई है। इन्हें लेकर पहले ही गंभीरता क्यों नहीं बरती गई। हालांकि डीजीसीए लगातार विमानन कंपनियों के प्रबंधन, विमानों के संचालन, उनमें सुरक्षा संसाधनों, चालकों की कुशलता और प्रवीणता आदि पर नजर बनाए रखता है। कई बार कंपनियों के विमान चालकों को उनकी कुशलता आदि के आधार पर हटा चुका है। कुछ विमानों को भी उड़ान भरने से रोका है। फिर भी उड़ान संबंधी नियमों का समुचित पालन नहीं हो पा रहा, तो यह चिंता की बात है।
हादसे के बाद भी तकनीकी खराबी की शिकायतें सामने आईं
अहमदाबाद हादसे के बाद एअर इंडिया के कई विमानों में तकनीकी खराबी की शिकायतें सामने आईं। कई विमानों को उड़ान भरने से रोक दिया गया या उड़ान भरने के बाद वापस लौटा लिया गया। इससे यह तो जाहिर है कि एअर इंडिया खुद भी उचित सावधानी बरत रहा है। इसके बावजूद अगर उसकी उड़ानों में प्रबंधन संबंधी कुछ दिक्कतें दिखाई दे रही हैं, तो उसकी वजहें समझी जा सकती हैं। छिपी बात नहीं है कि एअर इंडिया पिछले करीब बीस वर्षों तक अपने प्रबंधन संबंधी शिथिल रवैए का आरोप झेलता रहा। यह सरकारी कंपनी थी और इसका सही ढंग से संचालन न हो पाने के कारण लगातार घाटे में चल रही थी। इसकी वजह से इसे बेचने का फैसला करना पड़ा।
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जब टाटा समूह ने एअर इंडिया को खरीदा, तो उसने करार करके कहा कि वह इसमें काम करने वाले कर्मचारियों को अगले कुछ वर्षों तक बाहर नहीं निकालेगा। इस तरह एअर इंडिया को नई कंपनी मिलने के बावजूद उसके संचालन का पुराना ढंग-ढर्रा विरासत में मिला था। कहना न होगा कि अभी तक एअर इंडिया उससे मुक्त नहीं हो पाई है।
सैकड़ों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो सकती है साबित
सरकारी नियंत्रण वाली एअर इंडिया के विमानों के देरी से उड़ान भरने और गंतव्य तक पहुंचने, यात्री सुविधाओं का ध्यान न दिए जाने की शिकायतें आम थीं। अगर विदेश के लिए उड़ान भरने वाले उसके विमानों में तय समय सीमा का ध्यान नहीं रखा गया, तो यह पुरानी आदतों की वजह से भी हुआ होगा। जो हो, हवाई जहाजों में मामूली लापरवाही भी सैकड़ों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ साबित हो सकती है।
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एअर इंडिया के पास निस्संदेह अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित विमान हैं, पर उनके संचालन में सतर्कता और प्रवीणता न दिखाई जाए, तो खतरे खत्म कभी न होंगे। अच्छी बात है कि कंपनी खुद अपनी साख बरकरार रखने और यात्री सुरक्षा को गंभीरता से लेते हुए इसके प्रबंधन की कमजोर कड़ियों को दुरुस्त कर रही है। डीजीसीए से भी अपेक्षा की जाती है कि जैसी सतर्कता वह अभी दिखा रहा है, उसे सदा बरकरार रखेगा।