पहला विस्फोट बीते शनिवार को हुआ था, फिर सोमवार को और अब गुरुवार को तड़के हुआ। जब पहला विस्फोट हुआ था तो पुलिस ने उसे रसोई की चिमनी में हुआ विस्फोट बता कर नजरअंदाज कर दिया था। दूसरे विस्फोट के बाद भी वह सतर्क नहीं हुई, जबकि वह पहले वाले विस्फोट से अधिक ताकतवर था।
जब तीसरा विस्फोट हुआ तभी उसके कान खड़े हुए। पुलिस अब भी यही कह रही है कि आरोपी पटाखे बनाने वाली सामग्री से विस्फोट कर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे थे। मगर उनका असल इरादा क्या है, यह अभी खुलासा नहीं किया गया है।पंजाब में पिछले कुछ समय से उपद्रवी तत्त्व लगातार सक्रिय देखे जा रहे हैं।
अलगाववादी तत्त्व सिर उठाते देखे गए हैं। खालिस्तान की मांग फिर से उठने लगी है। कुछ दिनों पहले ही वारिस पंजाब दे संगठन के अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान की मांग उठाते हुए वहां की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी थी। पुलिस की घेराबंदी के बीच से भाग निकला था और काफी मशक्कत के बाद वह पुलिस की गिरफ्त में आ सका। इन सबके बावजूद, हैरानी की बात है कि स्वर्ण मंदिर जैसी संवेदनशील जगह पर विस्फोट के बाद भी पंजाब पुलिस शिथिल बनी रही।
सीमावर्ती राज्य होने की वजह से पंजाब को आतंकी गतिविधियों के लिहाज से संवेदनशील राज्य माना जाता है। अमृतसर में इस लिहाज से और चौकसी की अपेक्षा की जाती है। स्वर्ण मंदिर परिसर और उसके आसपास के इलाके में विशेष तौर पर कड़ी नजर रखी जाती है। फिर भी कुछ शरारती तत्त्व स्वर्ण मंदिर में न सिर्फ पनाह पाने, बल्कि वहां विस्फोटक तैयार करने में कैसे कामयाब हो गए।
जैसा कि शुरुआती विवरणों से पता चल रहा है कि वे ताकतवर विस्फोटक तैयार करने का प्रयोग कर रहे थे। जाहिर है, वे नौसिखिया और सिरफिरे नहीं हैं। उनका मकसद स्पष्ट है। पंजाब पुलिस की शिथिलता का ही नतीजा है कि वे तीन बार विस्फोट करने में कामयाब हो गए। हालांकि पुलिस ने उनके पास से जो पर्चे और मोबाइल फोन से संदेश आदि इकट्ठा किए हैं, उससे उन तक भी पहुंचने का सूत्र मिलेगा, जिनके हाथों में इन्हें संचालित करने का यंत्र है। उनका मकसद क्या है और उन्होंने क्यों स्वर्ण मंदिर को दहशत फैलाने की जगह के रूप में चुना, यह सब अभी साफ होना है।
स्वर्ण मंदिर पहले ही खालिस्तान आंदोलन के समय में अलगाववादियों का ठिकाना रह चुका है। हालांकि अब न तो पहले जैसा स्थानीय लोगों का उस आंदोलन को समर्थन है और न इस आंदोलन के जोर पकड़ने की कोई गुंजाइश नजर आती है। मगर कनाडा आदि देशों में बैठे कुछ आपराधिक वृत्ति के लोग सिख भावनाओं को भड़काने का प्रयास करते रहते हैं और उनके तार पाकिस्तान से भी जुड़े हुए हैं।
इसलिए ज्यादा खतरा पाकिस्तानी दहशतगर्दों को पंजाब में अपनी साजिशों को अंजाम देने का रहता है। पंजाब पुलिस इस तथ्य से अनजान नहीं। फिर भी वह कैसे इतनी लापरवाही बरत रही है कि कुछ उपद्रवी तत्त्व धमाके करने, सिख पंथ के नाम पर लोगों को भड़काने आदि जैसी गतिविधियों को अंजाम दे पा रहे हैं। सवाल खुफिया एजंसियों की सक्रियता पर भी उठता है कि उन्हें ऐसी गतिविधियों की भनक तक कैसे नहीं मिल पा रही।