सरकार के तमाम प्रयासों और दावों के बावजूद देश भर में सड़क हादसों की रफ्तार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। चाहे वाहन में सवार लोग हों या फिर पैदल यात्री, सड़क पर चलना किसी के लिए भी खतरे से खाली नहीं रह गया है। दुर्घटनाओं के लिए यातायात नियमों का पालन नहीं करना, लापरवाही या तेज गति से वाहन चलाना और सड़क निर्माण एवं देखरेख में खामियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है। मगर सवाल है कि इन व्यवस्थाओं को सुचारु बनाए रखने का दायित्व किसका है?
गौरतलब है कि तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में सोमवार सुबह बजरी से लदे एक ट्रक और बस के बीच भीषण टक्कर हो गई। इससे पहले, रविवार को राजस्थान के फलोदी में दो वाहनों के बीच जबरदस्त टक्कर हो गई। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में बस और जीप आपस में टकरा गए। सोमवार को जयपुर के हरमाड़ा में एक तेज रफ्तार ट्रक ने कई वाहनों को टक्कर मारी दी। इन हादसों में पचास से अधिक लोगों की जान चली गई।
2023 में 1.72 लाख लोगों की सड़क हादसों में गई जान
सरकार और प्रशासन की ओर से अक्सर यह दावा किया जाता है कि सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित करना, दुर्घटना संभावित स्थलों को चिह्नित करना, सड़क निर्माण की गुणवत्ता और देखभाल की निगरानी करना शामिल हैं। मगर, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की हाल की एक रपट कुछ और ही सच्चाई बयां करती है।
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इसके मुताबिक, वर्ष 2023 में 1.72 लाख लोगों की जान सड़क हादसों में गई है और यह आंकड़ा वर्ष 2022 के मुकाबले 2.6 फीसद अधिक है। इनमें से 68 फीसद से ज्यादा मौतें तेज गति से वाहन चलाने के कारण हुई हैं। साफ है कि सरकार की ओर से सड़क हादसों में कमी लाने के लिए जो सुधारात्मक योजनाएं और उपाय किए जाते हैं, वे प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो पा रहे हैं। आखिर इन योजनाओं को सरकारी कागजों से बाहर निकालकर सही मायने में जमीन पर उतारने में गंभीरता क्यों नजर नहीं आती है?
किसी फिल्म के डरावने दृश्य की तरह था मंजर
जयपुर के हरमाड़ा में जो सड़क हादसा हुआ, उसका मंजर तो किसी फिल्म के डरावने दृश्य की तरह था। एक ट्रक ने पहले कार को टक्कर मारी और फिर वह तेज रफ्तार से कई वाहनों को रौंदता हुआ आगे निकल गया। इस घटना की प्रारंभिक जांच में लापरवाही से वाहन चलाने की बात सामने आई है। सवाल है कि अगर सड़कों पर इस तरह की भयानक घटनाएं होती हैं, तो वाहनों में सवार और पैदल यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसकी है? सड़कों पर जगह-जगह गति मापक यंत्र लगाए जाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन क्या यह व्यवस्था ठीक से काम कर पा रही है।
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अगर नियमों का उल्लंघन करने पर उचित कार्रवाई की जाती है, तो फिर तेज गति से वाहन चलाने वालों के हौसले बेलगाम क्यों हैं? जाहिर है, व्यवस्था में कहीं न कहीं लापरवाही बरती जा रही है, जिसका खमियाजा निर्दाेष लोगों को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे में जरूरी है कि वाहनों की रफ्तार से लेकर सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता तक की निगरानी के लिए एक सशक्त तंत्र बनाया जाना चाहिए। साथ ही गुणवत्ता का मूल्यांकन करने वाले प्राधिकारियों की जवाबदेही तय करने की भी सख्त जरूरत है, तभी सड़कें आम लोगों के लिए सुरक्षित बन पाएंगी।
