एकता कानूनगो बक्षी
हमारा व्यक्तित्व अनगिनत पलों में अनेक अनुभवों से मिल कर बनता है। हिसाब-किताब रखने के लिए भले ही हम अपने जीवन और शरीर को संख्याओं के माध्यम से उम्र कह कर अंकित करते हैं, पर देखा जाए तो उम्र केवल एक संख्या में बंध कर नहीं रह जाती। उसका सही आकलन तो व्यक्ति के अनुभवों की व्यापकता से ही किया जा सकता है। ‘धूप में बाल सफेद करना’ यह बहुप्रचलित मुहावरा है, जिसका अभिप्राय हमें जीवन को समझने की एक सूक्ष्म दृष्टि भी देता है। बिना अनुभव लिए जब व्यक्ति उम्रदराज हो जाता है तो उसकी नासमझी पर अक्सर इस मुहावरे के जरिए कटाक्ष किया जाता है। परिपक्वता भी उन अनुभवों से मिले सबक को जीवन में समाहित करने से आती है।
कभी-कभी कम उम्र में ही जिम्मेदारियों के बोझ और अभावों में पोषित हुए व्यक्तियों की प्रतिभा इस बात को साबित कर देती है कि हमारी उम्र सालों में नहीं गिनी जा सकती, बल्कि जीवन के अनुभव और संघर्ष परिपक्वता का पैमाना बनते हैं। असल में परिपक्वता तभी आ सकती है, जब संवेदनशील मन के साथ हम चीजों को देखने-समझने, अवलोकन करने, महसूस करने की क्षमता खुद में विकसित कर सकें। परिपक्वता वह खिलखिलाहट भी हो सकती है जो संघर्ष के बीच लगातार बनी रहती है और अपने आप को निम्न स्तर की बातों, विचारों और आलोचनाओं से ऊपर उठाने में सहायक होती है। यह एक कला है, जिसे धीरे-धीरे नए अनुभवों को प्राप्त कर हासिल किया जा सकता है। जीवन में मेहनत, जिज्ञासा, धैर्य, विवेक, साहस, सही निर्णयों और उचित चयन से ही उम्र को कमाया जा सकता है। इसलिए बिना किसी पूर्वाग्रह के हर उम्र के व्यक्ति के प्रति आदर का भाव रखना ही सही दृष्टिकोण होगा। हम दिन रात समानता के मुद्दों की अगुआई करते दिखाई देते हैं, पर जब व्यक्ति के अनुभवों के अनुसार उसको वर्गीकृत करते हैं, तो देखते हैं कि हरेक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न है।
मसलन, विद्यालय में एक शिक्षक सभी विद्यार्थियों के साथ एक जैसा व्यवहार करना ठीक (नैतिक) समझता है। जिस विद्यार्थी के कम नंबर आए, प्रदर्शन कमजोर रहा, उन्हें एक जैसे कड़े शब्दों में अच्छी-खासी समझाइश दे दी। अब उसका प्रभाव सभी पर अलग-अलग हुआ। एक ने ठान लिया कि आगे से मुझे अच्छे नंबर लाना है, दूसरा बेहद डर गया और उसके मन में विद्यालय और पढ़ाई को लेकर हमेशा के लिए डर बैठ गया। आत्मविश्वास की कमी के चलते अब वह और गलती करने लगता है। तीसरे ने अपमानित महसूस किया और शिक्षकों के प्रति उसके मन मे क्रोध के भाव उत्पन्न हुए। चौथे ने कोई सबक नहीं सीखा। उसे अच्छा लगा कि प्रताड़ित होने में और भी लोग उसके साथ हैं।
दरअसल, हमारे अनुभव हमारे भावी जीवन को निर्धारित करते हैं। इस भिन्नता का चिंतन सामाजिक, आर्थिक नीतियों को लागू करते समय भी करना आवश्यक है। सबके विकास में हर एक के व्यक्तिगत विकास का सूक्ष्म चिंतन भी महत्त्वपूर्ण है। हमारी बातचीत और एक दूसरे से संवाद भी एक तरह से अनुभवों का आदान-प्रदान ही होता है। जब हम किसी से पहली बार मिलते हैं, सामने वाले व्यक्ति को अपने प्रति उसे एक नया अनुभव दे रहे होते हैं। कहा भी गया है कि पहली मुलाकात पहली छाप होती है। यही आगे समुचित धारणा का निर्माण करती है।
हमारी यह बहुत बड़ी भूल होती है जब हम किसी की समृद्धि और संपन्नता को भी एक मापदंड से निर्धारित करने लगते हैं। जब दूसरों की खुशियों और उनकी सफलता को देख कर हम उन जैसा या उन चीजों को हासिल करने का यह सोच कर प्रयास करने लगते हैं कि हम भी उतने ही सफल और खुश होंगे। जबकि अनुभव कभी खरीदे नहीं जा सकते, उन्हें केवल संघर्षों से हासिल किया जा सकता है। टीवी विज्ञापन में पिता की तरफ से दुल्हन को विदाई के समय दिया हुआ कीमती गहना और उपहार पिता-पुत्री के रिश्तों को गाढ़ा करते दिखाया जाता है।
हम सभी उस अनुभव से गुजरना चाहते हैं, पर क्या उसके लिए हम सभी को उपहार की ही जरूरत होगी? क्या पिता का बेटी के सिर पर रखा हाथ हमारे लिए भावनात्मक तरंगें उत्पन्न कराने के लिए पर्याप्त नहीं होगा? आलीशान घर किसी को समृद्धि और स्थिरता से ओत-प्रोत सुखद अनुभव दे सकता है, वहीं किसी यायावर मिजाज के व्यक्ति के लिए वह केवल निरर्थक और समय बर्बाद करने वाला अनुभव दे सकता है। परदेश और बड़े शहरों की चकाचौंध और वहां रह रहे लोगों को देख कर हमारा मन उस विलासिता को भोगने का कर सकता है, पर यह भी हो सकता है कि हमारे लिए अपने घर के बगीचे में नीम के पेड़ की छांव में बैठ कर अपनों के साथ ठहाका लगाना अधिक आनंददायी हो। इसी तरह दुखों, कष्टों में मुस्कुराना बहुत आसान नहीं होता सबके लिए। देखा देखी में उधार लिए अनुभवों से अक्सर हम ठगा-सा ही महसूस करेंगे। अनुभव न तो बेचे जा सकतें है, और न थोपे जा सकते हैं। हमारे जीवन की गुणवत्ता किसी और के द्वारा निर्धारित मापदंडों से रेखांकित नहीं होती है। वह हमारे जीवन के अनुभव और उससे उत्पन्न हुई खुशी, संतुष्टि से परिभाषित होती है।