कई बार ऐसा लगता है कि यह दुनिया जैसे-जैसे प्रगति और विकास की सीढ़ी चढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे मानव संवेदना, समझ और नैतिकता अपने गर्त में पहुंच रही है। भौतिकतावाद में तो हम शायद अव्वल होकर दुनिया भर के सुख बटोर कर दंभ से भरे जा रहे, पर मनुष्य के दायरे से नैतिकता का इतनी तेजी से पलायन देख कर भी हम खुद को असहाय सिद्ध कर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। बात कुछ दिन पहले की है जब मेरे किसी मित्र ने मुझसे कुछ रुपए की मांग की।
मुझे अचंभा इसलिए हुआ कि मैं अच्छे से जानती थी कि उसे पैसों की कमी नहीं है। बहुत दबाव देकर पूछने के बाद जो कहानी उसने मेरे सामने रखी वह मेरे पैरों तले जमीन खिसकाने के लिए काफी थी। दरअसल, सोशल मीडिया पर कोई उसे ब्लैकमेल कर रहा था। उसकी चैट यानी लिखित बातचीत को संपादित करके और कुछ संकेतकों का प्रयोग कर उसे बर्बाद करने की धमकी दी जा रही थी।
चूंकि उसके पति नौकरी के सिलसिले में अक्सर दूसरे शहरों में जाते रहते थे तो वह पति को भी खुल कर नहीं बता पा रही थी। मेरे लाख समझाने पर वह पुलिस के पास शिकायत करने को तैयार हुई। उसने अपने पति को बताया और आखिरकार शिकायत दर्ज कराई गई। राहत की बात यह थी कि मेरी मित्र के पास भी दूसरे पक्ष से की गई वास्तविक बातचीत के अंश सुरक्षित थे।
बहरहाल, यह मामला तो निपट गया, क्योंकि एक पक्ष पूरी तरह सही था और दूसरा पक्ष धोखेबाजी कर रहा था। लेकिन ऐसे मामलों की कोई कमी नहीं है जहां दो वयस्कों के बीच बातचीत या बेहद निजी तस्वीरों को विश्वास का पर्दा दिखा कर लोग हासिल करते हैं और उनमें से कोई किसी को ब्लैकमेल करता है। पैसों की उगाही या उसके साथ मनमाने व्यवहार और शोषण के लिए ऐसे मामले धड़ल्ले से बढ़ रहे हैं। अपराध की दुनिया में इसे ‘सेक्सटॉर्शन’ कहते हैं। यह ‘एक्सटॉर्शन’ यानी फिरौती की तरह का एक आपराधिक उपक्रम है।
गौर करने वाली बात यह है कि इस तरह की आॅनलाइन बातचीत या तस्वीरों का आदान-प्रदान दोनों ओर से सहमति से ही होते हैं, लेकिन फिर कोई एक पक्ष विश्वासघात कर देता है। ऐसे में कई बार दूसरे पक्ष के पास अमूमन बात मानने के अलावा कोई अन्य चारा नहीं बचता है। अविवाहित-विवाहित, बालिग-नाबालिग, स्त्री-पुरुष, प्रौढ़-युवा यानी जनसंख्या के हर तबके के कई लोग इस तरह के मामलों में शामिल होते देखे गए हैं। अकेलेपन, यौन उत्कंठा, ध्यानाकर्षण जैसे इनके कई कारण समझ आते हैं, जब ऐसी बातों की शुरुआत होती होगी।
शायद शुरुआती दौर में लोग यह सोच कर आगे बढ़ते भी नहीं होंगे कि वयस्क-बातचीत या तस्वीर साझा करने हैं। परमन में छिपा चोर नैतिकता, सही-गलत का पैमाना और समझदारी को चुरा कर ताक पर रख देता है और बातों के रौ में समझ में नहीं आता बात कब हाथ और समझ से बाहर निकल गई। हो सकता है कई मामले गैरकानूनी न होते हों, जब दो बालिग अविवाहित ऐसे किसी आभासी रिश्ते में खुद को बांधना पसंद करते हों, लेकिन ऐसे हर मामले में जोखिम तो है ही।
कई बार हमें अखबारों में ऐसी पर्चियां पड़ी हुई या विज्ञापन नजर आ जाते हैं जो अकेलेपन को दूर करने के लिए ‘कॉल ए फ्रेंड’ जैसी सुविधाएं देते दिखाई देते हैं। ऐसी जगहों पर वयस्क और अंतरंग बात करती लड़की या लड़का उपलब्ध होते हैं। ऐसे मामलों से भी ब्लैकमेलिंग के रास्ते खुलते हैं। क्या वाकई हम नितांत अकेले होते जा रहे हैं, जो इन मामलों के सामने आने पर सुध-बुध खोकर फंस जा रहे हैं?
ऐसे मामले धोखाधड़ी के तो हैं ही, लेकिन ऐसे रिश्ते बनाते वक्त इसकी विश्वसनीयता का मापदंड और कसौटी तय करना क्या दोनों पक्ष की जिम्मेदारी नहीं है? कोई एक पक्ष भुक्तभोगी बनता है तो क्या इसे बढ़ावा देने की जवाबदेही उसकी भी नहीं बनती है? इन मामलों से विश्वसनीयता का प्रश्न जितना आवश्यक है, उससे कहीं ज्यादा स्वयं की नैतिकता और समझ पर भी प्रश्न उठता है। जब कोई एक पक्ष ब्लैकमेल करने लगता है तो दूसरे पक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर लगी रहती है। नाम और इज्जत की खातिर गैरजरूरी मांगें भी पूरी कर दी जाती हैं। अवसाद और निराशा के भंवर में व्यक्ति फंसता चला जाता है।
गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 की तुलना में 2018 में दिल्ली पुलिस को सोशल मीडिया पर यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों में 50.4 फीसद की वृद्धि हुई है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 2018 तक चार सौ मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता थे और चीन के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इंटरनेट आबादी थी। सस्ते स्मार्टफोन की बढ़ती तादाद वास्तव में एक सकारात्मक प्रवृत्ति है, लेकिन जो बात स्पष्ट है, वह यह है कि आॅनलाइन दुनिया से जुड़े जोखिमों और खतरों के बारे में जागरूकता का अभाव है।
इस दौर में जब इंसान कई तरह की आपदा और विपदा का शिकार हो रहा है, तब एहतियात रखना और भी जरूरी हो जाता है। कोई कमी या समस्या है तो परिजनों और मित्रों से खुल कर बात की जा सकती है। ऐसे अनैतिक और अवांछनीय आभासी रिश्तों के खतरे में पड़ने से बेहतर है हम जीवन के असली रिश्तों से मदद की उम्मीद और विश्वास करें।

