Written by Jignasa Sinha
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बाहर रविवार को चंडीगढ़ के लिए ट्रेन पकड़ने से कुछ मिनट पहले 34 वर्षीय एक स्कूल शिक्षिका परिसर के बाहर बारिश के बीच गलती से बिजली के तार के करंट की चपेट में आकर मौत का शिकार हो गईं। इस दर्दनाक हादसे ने रेलवे अधिकारियों को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी खंभों और बिजली के बुनियादी ढांचे का सिक्योरिटी ऑडिट करने के लिए प्रेरित किया है।
आईपीसी की धारा 287 और 304-ए के तहत मामला दर्ज
दिल्ली पुलिस के मुताबिक महिला साक्षी आहूजा और उनका परिवार गेट नंबर 1 से रेलवे स्टेशन की ओर जा रहा था, तभी वह फिसलकर गिर गईं। उन्होंने सहारे के लिए खंभे को पकड़ लिया लेकिन खुले तारों के संपर्क में आ गई। पुलिस ने कहा कि बाद में जांच से पता चला कि घटनास्थल पर बिजली के खंभे के कुछ तार खुले पड़े थे। इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 287 (मशीनरी के संबंध में लापरवाहीपूर्ण आचरण) और 304ए (लापरवाही से मौत का कारण) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
FSL, रोहिणी के एक्सपर्ट कर रहे जांच, लापरवाही का आरोप
डीसीपी (रेलवे) अपूर्व गुप्ता ने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी मिली और वे मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा, “साक्षी की बहन माधवी चोपड़ा के साथ स्टाफ उन्हें लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज ले गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। शव को शवगृह में रखवा दिया गया। माधवी ने अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई।” डीसीपी ने कहा, “अपराध टीम और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, रोहिणी के विशेषज्ञों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। आगे की जांच जारी है।”
लापरवाही की जिम्मेदारी तय करने के लिए रेलवे करवा रही जांच
रेलवे की ओर से लापरवाही के दावों पर जवाब देते हुए डीसीपी गुप्ता ने कहा, “हमने भारतीय रेलवे के अधिकारियों से बात की है, जो मामले की जांच कर रहे हैं और यह निर्धारित करेंगे कि लापरवाही के लिए कौन जिम्मेदार था… साथ ही, ऐसे सभी खंभों का सुरक्षा ऑडिट भी किया जाएगा। भविष्य में ऐसी किसी भी घटना को रोकने के लिए बिजली के बुनियादी ढांचे का दोबारा निर्माण किया जा रहा है।
‘हमारी मदद के लिए कोई नहीं आया’, परिवार का छलका दर्द
साक्षी के परिवार में उनके पति अंकित आहूजा, 10 साल का बेटा राघव और छह साल की बेटी अनन्या हैं। अंकित टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन में इंजीनियर के रूप में काम करते हैं जबकि साक्षी लक्ष्मी नगर में लवली पब्लिक स्कूल में काम करती थी। वे प्रीत विहार में रहते हैं। वह एक समारोह में शामिल होने के लिए अपने भाई-बहनों, माता-पिता और बच्चों के साथ वंदे भारत एक्सप्रेस से चंडीगढ़ जा रही थी। परिवार ने आरोप लगाया कि बारिश के बाद सड़कों पर पानी भर गया था और फिसलन थी, इसलिए उसे खंभे को पकड़ना पड़ा, लेकिन बिजली के तेज करंट की चपेट में आकर साक्षी गिर गई।
रेलवे स्टेशन के बाहर मदद के लिए आए केवल दो-तीन लोग
मॉडल टाउन में रहने वाले साक्षी के पिता लोकेश चोपड़ा ने कहा, “हम गेट नंबर 1 के पास कार से बाहर निकले। मैं आगे चल रहा था तब मैंने अचानक माधवी को साक्षी की मदद करने के लिए चिल्लाते हुए सुना। जब मैंने उसे सड़क पर पड़ा देखा तो मेरे होश उड़ गए… उसकी चप्पलें उतरी हुई थीं। हमारी मदद करने वाला कोई नहीं था… बच्चे रो रहे थे।” रेलवे स्टेशन के ठीक बाहर घटना होने के बावजूद केवल दो-तीन लोग ही उनकी मदद के लिए आए क्योंकि बाकी लोगों को भी करंट लगने का डर था।
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गेट नंबर 1 के बाहर मुख्य रास्ते पर पानी भरा, आधा दर्जन नंगे तार
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि साक्षी को हटाने के लिए उन्हें लकड़ी की लाठियों का इस्तेमाल करना पड़ा। माधवी ने कहा कि उसने अपनी बहन को खींचने की भी कोशिश की लेकिन उसे भी हल्का झटका लगा। पिता ने आरोप लगाया, “यह अधिकारियों की लापरवाही के कारण था। हम किसी संकरी या छायादार सड़क पर नहीं चल रहे थे। गेट नंबर 1 के बाहर यह मुख्य सड़क है और जंक्शन पर ही पोल है। वहां कम से कम आधा दर्जन नंगे तार हैं। उन्हें कुछ करना चाहिए था। सड़कों पर पानी भर गया था।”
साक्षी के पति ने केंद्र, दिल्ली सरकार और रेलवे पर उठाए सवाल
इस बीच, साक्षी के पति ने कहा कि उनकी मां को बच्चों का फोन आया और उन्होंने कहा, “आप जल्दी आ जाओ, मम्मी बेहोश हो गई।” उन्होंने कहा, “यह मध्य दिल्ली में हो रहा है। मैं केंद्र सरकार, रेलवे, दिल्ली सरकार से सवाल करना चाहता हूं… अगर आपकी बेटी/पत्नी के साथ ऐसा होता तो क्या होता? हम सभी तो तबाह हो गए ।”