मुंबई का चर्चित शीना बोरा मर्डर केस…कत्ल की एक ऐसी वारदात, जहां कटघरे में मीडिया मुगल पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी मुखर्जी थी। मुंबई पुलिस इससे पहले की चार्जशीट दाखिल करती कि तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को पद से हटाकर डीजी होमगार्ड्स बना दिया गया। उनके बाद मुंबई पुलिस की कमान जावेद अहमद के हाथ में आई। रिटायरमेंट के बाद राकेश मारिया ने अपनी किताब ‘लेट मी से इट नाउ’ में जावेद अहमद पर ऐसे इल्जाम लगाए थे कि हंगामा मच गया था।

अनजाने में खुला कत्ल का राज: 21 अगस्त, 2015, मुंबई पुलिस ने श्याम मनोहर राय नाम के एक शख्स को अवैध पिस्टल के साथ गिरफ्तार किया। मुंबई पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक श्याम ने बताया कि तीन साल पहले उसने अपनी मालकिन इंद्राणी मुखर्जी के कहने पर शीना बोरा की गला दबाकर हत्या कर दी थी और शव को रायगढ़ के जंगलों में जलाकर नष्ट कर दिया था। श्याम जिस शव की बात कह रहा था, उसे तीन साल पहले 2012 में रायगढ़ पुलिस ने बरामद कर लिया था। मगर लाख कोशिशों के बाद भी शिनाख्त नहीं हो पाई थी।

लपेटे में इंद्राणी और मुश्किल में मारिया: दरअसल, जिस महिला का शव मिला था, उसका नाम शीना बोरा था। जो काफी समय से लापता चल रही थी। मगर ऑफिशियली उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई थी। जांच की शुरुआत में इंद्राणी ने शीना को अपनी बहन बताया, मगर गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के दौरान इंद्राणी ने शीना को अपनी बेटी बताया था। कहानी में इतना बड़ा ट्विस्ट आया ही था कि मुंबई पुलिस के तत्कालीन कमिश्नर राकेश मारिया को रातों-रात पद से हटाकर डीजी होम गार्डस बना दिया गया। आरोप लगा कि उनके रिश्ते पीटर और इंद्राणी के नजदीकी हैं, लिहाजा पूछताछ प्रभावित हो सकती है।

पुलिस कमिश्नर बनाम पुलिस कमिश्नर: अपनी किताब लेट मी से इट नाउ में राकेश मारिया लिखते हैं कि “उस समय मेरी जगह मुंबई पुलिस आयुक्त बनाए गए अहमद जावेद पीटर मुखर्जी को सोशियली जानते थे और ईद पार्टी में पीटर को निमंत्रित भी किया था? क्या ये बात तब के मुख्यमंत्री और गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पता थी? क्या अहमद जावेद ने ये बातें मुख्यमंत्री को बताई थीं? अगर हां तो क्यों उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया? और अगर नहीं तो उन्होंने इसे गम्भीर मुद्दा क्यों नहीं माना?”

निशाने पर जावेद: अपनी किताब लेट मी से इट नाउ में मारिया आगे लिखते हैं कि “राहुल मुखर्जी ने जब शीना बोरा के लापता होने की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी, तब अहमद जावेद महाराष्ट्र के एडिशनल डीजी लॉ एंड आर्डर के पद पर थे। इस पद के अधीन राज्य की सभी जिलों की पुलिस आती है। शीना के शव का कंकाल रायगढ़ जिले के गागोडे जंगल में मिला था। उस समय जिला पुलिस की भूमिका पर जांच का आदेश दिया गया था कि कहीं सबूत नष्ट करने की कोशिश तो नहीं हुई थी? उस जांच का क्या हुआ?” फिर नए सीपी और पीटर मुखर्जी की दोस्ती अचानक सामने आने के बाद मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई।

जावेद का पलटवार: मीडिया के लिखी गई चिट्ठी में जावेद अहमद ने कहा कि मेरे एडीजी लॉ एंड आर्डर रहते हुए शीना बोरा के शव की बरामदगी पर ये गलत, झूठ और आक्षेप से ज्यादा कुछ नही है। पूरी तरह से गलत और भ्रमित करने वाला है। वैसे भी यह जानकारी पब्लिक रिकॉर्ड में है और आसानी से पताया लगाया जा सकता है कि उस वक्त एडीजी लॉ एंड ऑर्डर कौन था? कम से कम मूल तथ्य तो सही होने चाहिए थे, लेकिन उनसे और उम्मीद ही क्या की जा सकती है?”