‘मिर्जापुर 2’ में ‘कालीन भइया’ से दुश्मनी लेने के बाद ‘गुड्डू’ का क्या होगा? क्या ‘कालीन भइया’ ‘गुड्डू’ को माफ कर देंगे। ऐसे कई सारे सवाल हैं जिसके जवाब वेब सीरीज के दीवानों को ‘मिर्जापुर 2’ देखने के बाद मिल जाएगा। चेहरे पर गंभीरता, गैंगस्टर वाला रूतबा और बोली में कड़क मिजाजी ने मिर्जापुर के पहले भाग में पंकज त्रिपाठी को ‘कालीन भइया’ के तौर पर नई पहचान दी। ‘मिर्जापुर’ सीरीज में अच्छे-अच्छे पुलिसवालों को अपनी जेब में रखने वाले कालीन भइया रियल लाइफ में खुद जेल की हवा खा चुके हैं। एक गोलीकांड के बाद पंकज त्रिपाठी को जेल में बंद कर दिया गया था।
इस गोलीकांड में गए जेल: जी हां, पंकज त्रिपाठी ने खुद कपिल शर्मा के शो में इस बात खुलासा किया था। पंकज त्रिपाठी ने बताया था कि ‘मैं अपनी बात करूं तो इस लॉकडाउन वाली कैद से इतर एक बार मैंने सात दिन की जेल की हवा भी खाई थी। 1993 में मधुबनी गोलीकांड में दो छात्र मारे गए थे।
उसके विरोध में छात्रों ने दिसंबर के महीने में एक आंदोलन किया। इस आंदोलन में हिस्सा लेने के बाद मुझे जेल में डाल दिया गया था। तब मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का सदस्य था लेकिन, जेल में सिर्फ विद्यार्थी परिषद के ही नहीं बल्कि वामपंथी संगठनों के छात्र भी थे। उनसे अलग-अलग मुद्दों पर चर्चाएं हुईं। मैंने उनके साथ रहते हुए नागार्जुन की कविताओं को जाना। कुछ दूसरे साहित्यकारों की बड़ी कहानियों की चर्चा हुई।’
जेल ने बदली जिंदगी: इस शो में पकंज त्रिपाठी ने कहा था 7 दिनों की इस जेल ने उनकी पूरी जिंदगी बदल दी थी। उन्होंने कहा था कि ‘गांव से बाहर ज्यादा गया नहीं था, तो ज्यादा एक्सपोजर भी नहीं था। लेकिन, उन सात दिन की जेल ने मेरे भीतर साहित्य और रंगमंच को लेकर नई अलख जलाई। जेल से बाहर निकलकर पढ़ने-पढ़ाने का सिलसिला शुरु हुआ।
जेल में ही किसी साथी ने कहा कि जेल के बाद फलां नाटक देखने आना तो मैं गया। हालांकि, मैंने गांव में एक दो नाटक किए थे, लेकिन वो एम्चेयोर नाटक के बाप थे। उनमें हम डायलॉग भी याद नहीं करते थे। लेकिन, फिर पटना में रंगमंच से जुड़ा तो थिएटर की शुरुआती बातें समझ आईं।’
आपको बता दें कि पंकज त्रिपाठी बिहार के गोपालगंज के रहने वाले हैं। बताया जाता है कि साल 2004 में आई फिल्म ‘रन’ से उन्होंने डेब्यू किया था। इसके बाद से पंकज त्रिपाठी अपनी एक्टिंग के दम पर कई फिल्मों और वेब सीरीज में नजर आ चुके हैं।