मुंबई पुलिस ने हत्या का एक ऐसा केस सॉल्व किया है, जिसका खुलासा होना लगभग नामुमकिन लग रहा था। पुलिस को डेडबॉडी की उंगली पर मतदान की स्याही लगी दिखी, जिससे पहले तो मृतक की शिनाख्त हुई। इसके बाद केस पर पड़े सारे पर्दे भी उठ गए। पुलिस के मुताबिक, मई के पहले सप्ताह में मुंबई के पश्चिमी उपनगर घाटकोपर-मानखुर्द लिंक रोड स्थित एक सार्वजनिक शौचालय के पास किरण वानखेड़े की डेडबॉडी मिली थी।

यह दिक्कत थी पुलिस के सामने: वानखेड़े के चेहरे को पत्थर से बुरी तरह कुचल दिया गया था। उंगली पर मतदान के निशान के अलावा उसके शरीर पर सिर्फ टैटू थे। इनमें एक होली क्रॉस था और दूसरा उसके हाथ पर बी व के लिखा था। ऐसे निशान हजारों लोगों के हाथों में होते हैं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी सिर कुचलने की वजह से मौत होने की पुष्टि हुई थी। इस मामले में न तो मृतक की पहचान हो पा रही थी और न ही पुलिस के हाथ आरोपी के सुराग लगे थे। ऐसे में पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था।

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आरोपियों पकड़ में आए: जांच के दौरान असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर मोहन सरोडे ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान शफिउल्लाह कुरैशी (23) और नियाज चौधरी (20) के रूप में हुई। पुलिस के मुताबिक, दोनों ड्रग एडिक्ट हैं। पूछताछ में उन्होंने कबूल किया कि उन्हें पैसों की जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने एक दिन तड़के एक शख्स को इलाके में देखा। उन्हें लगा कि उसके पास पैसे होंगे। ऐसे में उन्होंने उस शख्स से झगड़ा शुरू कर दिया और पत्थर से उसका चेहरा कुचलकर फरार हो गए।

मृतक की शिनाख्त होने में दिक्कत: दियोनार पुलिस के सामने अब समस्या यह थी कि उन्होंने कातिल का पता तो लगा लिया था, लेकिन मरने वाले की पहचान नहीं हो पा रही थी। पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने बताया था कि वे किसी को भी निशाना बना लेते थे। ऐसे में वे भी मृतक को नहीं पहचानते थे। वहीं, डेडबॉडी पर भी ऐसा कोई खास निशान नहीं था, जिससे उसकी पहचान हो सके।

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यह तरीका भी नहीं आया काम: इंस्पेक्टर सरोडे ने मृतक के फोटो के पोस्टर शिवाजी नगर-दियोनार इलाके में लगवाए। साथ ही, स्थानीय टीवी चैनलों पर भी सूचना दी, लेकिन मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि हमारे पास सिर्फ एक वोटिंग मार्क, एक क्रॉस और शब्द बीके था। जांच के दौरान पुलिस को एहसास हुआ कि मृतक स्थानीय निवासी हो सकता है। वहीं, मतदान के निशान का मतलब यह है कि उसने वोट डाला था। ऐसे में उसका नाम वोटर्स लिस्ट में होना चाहिए।

पुलिस टीम ने उठाया यह कदम: सीनियर इंस्पेक्टर पी दारादे ने सरोडे व सब-इंस्पेक्टर वी बाबर से अलग टीम बनाने के लिए कहा, जिसे शिवाजी नगर और दियोनार इलाके की वोटर लिस्ट की जांच में लगाया गया। उन्होंने बताया कि वोटर लिस्ट में करीब 3.5 लाख नाम थे, जिन्हें छांटने के लिए 12 पुलिसकर्मियों को लगाया गया। उन्होंने सबसे पहले महिलाओं, 40 साल से ज्यादा उम्र के पुरुषों व मुस्लिमों के वोटर कार्ड अलग कर दिए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में शख्स को गैर-मुस्लिम बताया गया था। डीसीपी (जोन-6) शशि मीणा ने बताया कि इसके बाद कुचले हुए चेहरे की तस्वीर से वोटर लिस्ट का मिलान किया गया।

और मेहनत रंग लाई: इंस्पेक्टर सरोडे ने बताया कि शुरुआत में हम उन लोगों को ढूंढ रहे थे, जिनके नाम की शुरुआत बीके से होती है। अनुमान था कि यह शख्स धर्म बदलकर ईसाई बन गया होगा और हाथ पर क्रॉस बनवाया होगा। वोटर कार्ड छांटने के बाद हमने करीब 120 लोगों का डेटा तैयार किया। पुलिस ने जो लिस्ट तैयार की, उसमें सबसे पहला नाम किरण वानखेड़े का था। जब पुलिस मानखुर्द स्थित पीएमजीपी कॉलोनी में उसके घर पहुंची तो किरण की मां कांताबाई वानखेड़े (50) से मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि किरण काफी दिन से लापता है। जैसे ही उन्हें मृतक की तस्वीर दिखाई गई, वह रोने लगीं। उन्होंने अपने बेटे के शव की पहचान कर ली।

क्रॉस और बीके का यह था मतलब: मृतक की शिनाख्त होने के बाद भी पुलिस क्रॉस और हाथ पर लिखे बीके का रहस्य नहीं सुलझा पाई थी। ऐसे में कांताबाई ने बताया कि किरण के दोस्तों ने उसके हाथ पर क्रॉस का निशान बनवा दिया था। वहीं, बीके में के किरण के नाम का था, जबकि बी अक्षर से उसकी पहली गर्लफ्रेंड का नाम शुरू होता था।