कानपुर पुलिस ने कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान कानपुर के किदवई इलाके में हुए तिहरे हत्याकांड में कथित संलिप्तता के लिए पूर्व कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाह के भतीजे राघवेंद्र कुशवाह की तलाश कर रही है। पुलिस के मुताबिक साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़की सिख-विरोधी हिंसा में कानपुर में कम से कम 127 लोगों की जान चली गई थी।

साल 2019 में भाजपा सरकार ने किया SIT का गठन

भाजपा सरकार ने साल 2019 में कानपुर में सिख-विरोधी दंगों से जुड़े सभी 1,251 मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था। उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक अतुल की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय एसआईटी के बाकी तीन सदस्य जिला न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) सुभाष चंद्र अग्रवाल, अतिरिक्त महानिदेशक, अभियोजन, (सेवानिवृत्त) योगेश्वर कृष्ण श्रीवास्तव और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी पुलिस) बलेंदु भूषण ने “गंभीर प्रकृति” के 11 मामलों की जांच की और लगभग 99 लोगों को इसमें शामिल पाया। उनमें से कई अब मर चुके हैं।

राज्य सरकार ने SIT से लेकर दोबारा कानपुर पुलिस को सौंपी जांच

एसआईटी ने जांच के दौरान 42 लोगों को गिरफ्तार किया था। हालाँकि, राज्य सरकार के निर्देश के बाद मार्च में एसआईटी को भंग कर दिया गया और जांच कानपुर पुलिस को स्थानांतरित कर दी गई। एसआईटी जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “कानपुर सिख-विरोधी दंगे के दौरान किदवई इलाके में हुए तिहरे हत्याकांड में हमें पूर्व मंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाह के भतीजे राघवेंद्र कुशवाह की संलिप्तता मिली। पीड़ितों को मार डाला गया और उनके शवों में आग लगा दी गई थी।

राघवेंद्र कुशवाह के खिलाफ SIT के पास पर्याप्त सबूत और गवाह

अधिकारी के मुताबिक, इस मामले में राघवेंद्र के अलावा करीब 17 अन्य आरोपी हैं। मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए अपने बयान में तीन गवाहों ने आरोपियों की पहचान की पुष्टि की है, जिनमें राघवेंद्र कुशवाह भी शामिल हैं। एसआईटी ने पाया कि कानपुर के एक प्रभावशाली व्यक्ति राघवेंद्र ने भीड़ का नेतृत्व किया था। अधिकारी ने बताया कि जब दंगे भड़के तो स्थानीय विधायक शिवनाथ सिंह तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।

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राघवेंद्र के छोटे भाई ने किया संपर्क में नहीं होने का दावा

सूत्रों के मुताबिक, राघवेंद्र कुशवाह महोबा जिले में शिफ्ट हो गए हैं और क्रशिंग का कारोबार करते हैं। वह फिलहाल किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं हैं। संपर्क करने पर राघवेंद्र कुशवाह के छोटे भाई इंद्रजीत सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं पिछले दो-तीन महीनों से अपने भाई (राघवेंद्र) के संपर्क में नहीं हूं।”