उत्तर प्रदेश में बाहुबली की छवि रखने वाले मुख्तार अंसारी पर पोटा (आतंकवाद निरोधक अधिनियम) लगाने वाले यूपी पुलिस के पूर्व उप पुलिस अधीक्षक शैलेंद्र सिंह पर दर्ज मुकदमा वापस ले लिया गया है। साल 2004 में शैलेंद्र सिंह पर तोड़फोड़ और मारपीट का मुकदमा दर्ज किया गया था। वाराणसी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सहायक अभियोजन अधिकारी की रिपोर्ट पर शैलेन्द्र सिंह पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने का आदेश जारी किया है। मुकदमा वापस लिए जाने के बाद शैलेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिख कर इसकी जानकारी दी। यहां बता दें कि शैलेन्द्र सिंह के खिलाफ जिलाधिकारी कार्यालय के एक कर्मचारी ने जिलाधिकारी कार्यालय के रेस्ट रूम में घुसकर तोड़फोड़ करने और मारपीट करने की शिकायत दर्ज कराई थी।
अब शैलेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट लिखकर कहा है कि ‘2004 में जब मैंने माफिया मुख्तार अंसारी पर एलएमजी केस में पोटा लगा दिया था, तो मुख्तार को बचाने के लिए तत्कालीन सरकार ने मेरे ऊपर केस खत्म करने का दबाव बनाया। जिसे न मानने के फलस्वरूप मुझे डिप्टी एसपी के पद से त्यागपत्र देना पड़ा था। इस घटना के कुछ महीने बाद ही तत्कालीन सरकार के इशारे पर, राजनीति से प्रेरित होकर मेरे ऊपर वाराणसी में अपराधिक मुकदमा लिखा गया और मुझे जेल में डाल दिया गया।’
एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह भावुक होकर रोने लगे। अपनी दास्तान बताते हुए उन्होंने कहा कि दरअसल यह मामला लाइट मशीन गन बरामद करने को लेकर था। इस मामले में मैंने पोटा भी लगाया था। शैलेंद्र सिंह ने कहा कि जब मैंने लाइट मशीन गन की रिकवरी की थी तब सरकार से अनुमति लेकर ही यह कार्रवाई की गई थी। मुख्तार यह सोच कर बच रहे थे इसमें आर्म्स एक्ट की धारा लगी है, लेकिन इसमें पोटा लगाया गया था।
जब यह बात सामने आई कि इसमें पोटा लगा हुआ है तो मुख्तार ने सरकार पर जो भी अपना दबाव बनाया हो, यह बात हमसे कहा जाने लगा कि आप इस केस को वापस लीजिए। जब मैंने केस वापस लेने से इनकार किया तब मुझसे यह कहा गया कि आप अपने बयान में मुख्तार का नाम मत लीजिए। लेकिन मैंने इस बात से भी इनकार कर दिया।
इसके बाद मुझे प्रताड़ित किया जाने लगा। मुझे लखनऊ बुला लिया गया। सभी कहने लगे कि मुलायम सिंह मुख्यमंत्री, (तत्कालीन) आपसे बहुत नाराज हैं। इसके बाद मुझे काफी तंग किया जाने लगा फिर अंत में मैंने पहला इस्तीफा दिया। पहला इस्तीफा इसलिए क्योंकि मैंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि राजनीति का अपराधीकरण काफी बढ़ गया है। जिसके बाद मुलायम सिंह यह कहने लगे कि यह इस्तीफा जानबूझ कर हाईलाइट होने के लिए लिखा गया है। इसके बाद मैंने दूसरा इस्तीफा भेज दिया।
पूर्व डीएसपी ने साफ किया कि मुलायम सिंह ने पोटा की इजाजत नहीं दी थी। मुलायम सिंह इतना नाराज थे कि कई बड़े अधिकारियों का ट्रांसफऱ रातोंरात हो गया। मुझे बाद में दूसरे केसों में जेल भेजा गया। शैलेंद्र सिंह ने भावुक होते हुए कहा कि लाइट मशीन गन बरामद करने के लिए कोई जाने को तैयार नहीं था लेकिन हमने जान हथेली पर रख कर इमानदारी से काम किया। उन्होंने कहा कि मुझे मेरे परिवार की चिंता होती है।