बड़े-बड़े ठगों को आप जानते होंगे लेकिन इस ठग के आगे सभी पानी भरते हैं। इसने तो पीएमओ को भी नहीं छोड़ा। उसने अपने फायदे के लिए पीएमओ के नाम का गलत इस्तेमाल किया। हम जिसकी बात कर रहे हैं उसका नाम संजय प्रकाश राय ‘शेरपुरिया’है। यह बड़े-बड़े लोगों से अपनी जान-पहचान बनाता था और कहता था कि उसकी पीएमओ में अच्छी-खासी जान पहचान है। वह बड़े-बड़े नेताओं से दोस्ती करके लोगों को अपने झांसे में लेता था। वह लोगों से कहता था कि उसकी बडे-बड़े नेताओं से दोस्ती है। अब जाकर उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने उसे गिरफ्तार किया है।

मनोज सिन्हा को दिया 25 लाख का लोन

हमारे सहयोगी इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, गिरफ्त में आए संजय राय ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को 25 लाख रुपये उधार दिए थे। मनोज सिन्हा ने अपने चुनावी हलफनामे में इसका जिक्र भी किया था। उन्होंने इसे “असुरक्षित” लोन बताया था। सिन्हा 2014 में यूपी के गाजीपुर से लोकसभा चुनाव जीत गए थे मगर 2019 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार अफजल अंसारी से हार गए थे। इसके बाद भी वे पूर्वांचल की राजनीति में सक्रिय रहे मगर बाद में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद उन्हें अगस्त 2020 में जम्मू और कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। इसके बाद वे पार्टी की गतिविधियों से दूर रहे।

असल में सिन्हा ने 2019 के लोकसभा चुनाव हलफनामे में 57 लाख रुपये के पांच “असुरक्षित” लोन का जिक्र किया है। जिसमें शेरपुरिया का लोन सबसे अधिक है। इसके अलावा चार लोगों से 3 लाख, 6 लाख , 8 लाख और 15 लाख रुपये के लोन हैं। हालांकि सिन्हा के एक करीबी सूत्र ने दावा किया कि सिन्हा का 2015-16 से राय के साथ किसी तरह के संपर्क में नहीं हैं। सूत्र का कहना है कि सिन्हा ने उस लोन का जिक्र अपने चुनावी हफलनामे में भी किया था। उनका ठग से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने लोन चुकाने के लिए कई बार शेरपुरिया से संपर्क कोशिश की मगर उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया।

बीजेपी नेताओं का करीबी है शेरपुरिया?

वहीं गाजीपुर में BJP के जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह का कहना है कि शेरपुरिया न तो भाजपा का सदस्य है औऱ ना ही कोई पदाधिकारी है। यह अलग बात है कि वह जब गाजीपुर आता था तो हमसे मुलाकात होती थी। मगर पार्टी से उसका कोई संबंध नहीं है। वहीं नाम ना छापने की शर्त पर एक बीजेपी नेता ने कहा कि शेरपुरिया पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से संपर्क रखने के लिए जाना जाता था। वह जब भी वाराणसी आता था तो लोकल नेताओं से जरूर मिलता था।