उत्तर प्रदेश पुलिस ने गोरखपुर में चार महिलाओं को अपने जिंदा पतियों के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट बैंक में जमा करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के ऐसा करने के पीछे का मकसद अपने लोन चुकाने से बचना था। पुलिस जांच में धोखाधड़ी की बात सामने आने के बाद रविवार को सभी को अरेस्ट किया गया।

बैंक की शिकायत के बाद पर्दाफाश किया

रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 406, 419, 467, 368 और 471 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस ने बैंक की शिकायत के बाद मामले का पर्दाफाश किया।

यह भी पढ़ें – ‘पत्नी के 3-4 प्रेमी, करा सकती है मेरी हत्या…’, हाथ में तख्ती लिए सड़क पर खड़ा हो गया पति, CM से सुरक्षा की लगाई गुहार

जानकारी अनुसार महिलाओं को पहले इंडसइंड बैंक की पार्टनर कंपनी भारत फाइनेंशियल इंक्लूजन लिमिटेड द्वारा दी जाने वाली ग्रुप-लोन योजना के तहत लोन मिला था। इस लोन योजना का उद्देश्य ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को स्वरोजगार और आय सृजन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।

लोन रिपेमेंट नीति के अनुसार, अगल लाभार्थी के पति की मौत हो जाती है, तो बाकी बचे लोन की किस्तें माफ कर दी जाती हैं, और पहले से भुगतान की गई किसी भी किस्त को डेथ पेनल्टी के रूप में वापस कर दिया जाता है।

यह भी पढ़ें – टेकऑफ में हो रही थी देरी, तभी टॉयलेट चला गया यात्री, वहां की ऐसी हरकत कि बुलानी पड़ गई पुलिस

रिपोर्ट के अनुसार इसी योजना के कारण चारों महिलाओं ने अपने पतियों के फर्जी डेथ सर्टिफिकेट पेश करके पॉलिसी का फायदा उठाया, डेथ पेनल्टी का लाभ लिया और अपने बाकी बचे लोन के भुगतान से बच गईं। जांच के दौरान इन महिलाओं के पति जीवित पाए गए, जिससे धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ।

पुलिस ने बैंक से जुड़े अन्य संदिग्ध डेथ सर्टिफिकेट की भी जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी देवेश कुमार शर्मा के अनुसार, “फर्जी सर्टिफिकेट पॉलिसी लाभ का दावा करने के लिए पेश किए गए थे। पतियों के जिंदा होने से महिलाओं की धोखाधड़ी की मंशा साबित होती है। अधिकारी फर्जी सर्टिफिकेट के सोर्स और प्रामाणिकता की भी जांच कर रहे हैं।”