दुनिया का शायद ही कोई ऐसा कोना होगा, जहां अपराध न होते हों। अपराधी अपराध करते हैं वहीं होती हैं जांच एजेंसियां। यानी पुलिस, जासूस, डिटेक्टिव और कानून के रखवाले। हर सभ्य समाज में कानून और अनुशासन बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की होती है और पुलिस जैसे संगठन इसमें हमारे मददगार होते हैं। माना जाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन हमारे देश में कई ऐसे संगीन अपराध भी हुए हैं जिसमें पुलिस और जांच एजेंसियों के हाथ कोई सबूत नहीं आया। ऐसे मामलों की सूची काफी लंबी है। जनसत्ता डॉट कॉम आज आपको ऐसे ही कुछ चुनिंदा और चर्चित मामलों के बारे में बता रहा है।
आरुषि-हेमराज हत्याकांड: आरुषि तलवार और हेमराज हत्याकांड 2008 का सबसे चर्चित मर्डर केस था। इस मर्डर की कहानी ऐसी है कि लोकल पुलिस के साथ-साथ सीबीआई भी आज तक इस मासूम के कातिल को खोज ही रही है।
14 साल की आरूषि तलवार की हत्या उसके अपने ही घर में 16 मई 2008 को कर दी गई थी। इस हत्याकांड की चर्चा दिल्ली एनसीआर सहित पूरे देश में हुई। शुरूआती जांच में नौकर हेमराज पर शक गया लेकिन दो दिन बाद ही उसकी भी लाश घर की छत पर मिली। इसके बाद शक की सूई आरुषि के माता-पिता (नूपुर तलवार-राजेश तलवार) पर गई। राजेश और नूपुर तलवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा भी दी, लेकिन अक्टूबर 2017 को इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दोनों को बरी कर दिया। लेकिन आज तक इस मर्डर की मिस्ट्री का खुलासा नहीं हो सका है।
अमर सिंह चमकीला हत्याकांड: अमर सिंह चमकीला पंजाबी गायक, गीतकार और संगीतकार थे। उनके तेवर उनकी पहचान थे। चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत की बैंड के दो सदस्यों के साथ 8 मार्च 1988 की हत्या कर दी गई थी। ये हत्याकांड आज भी अनसुलझा है।
अमर ने अपने गीतों के जरिए ग्रामीण जीवन, शराब, विवाहेतर संबंधों पर खुलकर गाया था। जिसे उनके प्रशंसक सच का आइना मानते थे और विरोधी अश्लील। शायद यही उनकी मौत की वजह बनी। हालांकि आज भी यह मर्डर एक अबूझ पहेली बना हुआ है।
डॉ. होमी जहांगीर भाभा: शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जिसने यह नाम सुना या पढ़ा न होगा। भाभा भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं। इनकी मौत भी एक रहस्य ही है। भाभा की मौत एक प्लेन क्रैश में हो गई थी। ये क्रैश आज भी सवालों के घेरे में है। ये क्रैश तब हुआ जब डॉक्टर जहांगीर होमी भाभा विएना में एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने 24 जनवरी 1966 को मोंट ब्लैंक प्लेन से जा रहे थे। अचानक प्लेन क्रैश हुआ और भाभा की मौत हो गई। उनकी मौत में अमेरिकी एजेंसी CIA का नाम भी यदाकदा आता रहा। लेकिन वास्तविकता आज तक पता नहीं चल पाया है।
लाल बहादुर शास्त्री: देश के दूसरे प्रधानमंत्री जिनकी मौत आज भी संदेह के घेरे में है। जैसा कि राजीव दीक्षित के मामले में हुआ था, शास्त्री जी की भी संदिग्ध परिस्थितियों में, हृदय गति रुकने से रूस के ताशकंद में उनकी मृत्यू हो गई। उनकी मृत्यु ताशकंद घोषणा पर हस्ताक्षर करने के एक दिन बाद हुई। वह विदेश में मरने वाले भारत के पहले प्रधान मंत्री थे। इसके अतिरिक्त, लाल बहादुर शास्त्री के मामले में भी, कोई पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं बनाई गई थी, जिसके कारण जहर देकर मारने की थ्योरी को बल मिलता रहा है।
मिथिला गोलीबारी, कोच्चि: कोच्चि को झकझोर देने वाली एक बड़ी हत्या 5 अप्रैल, 2006 को हुई थी। मिथिला बार के मालिक और व्यवसायी वीएम मोहनन उर्फ मिथिला मोहन की हत्या उनके घर के दरवाजे पर गोली मारकर कर गई थी। सीबीआई को सौंपे जाने से पहले इस मामले की पुलिस और अपराध शाखा ने जांच भी की थी। 2013 में, अपराध शाखा ने एक शख्स संतोष कुमार को गिरफ्तार किया। इसके बाद पुलिस ने कहा कि मोहन की हत्या की जिम्मेदारी शार्प शूटर्स को दी गई थी।
नजीब अहमद की गुमशुदगी: नजीब अहमद जेएनयू का छात्र था और 15 अक्तूबर 2016 को अचानक से लापता हो गया। इस मामले की पहले दिल्ली पुलिस ने जांच की, लेकिन नजीब का कुछ पता नहीं चला। इसके बाद नजीब की मां की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया। जांच के बाद सीबीआई भी नजीब को नहीं ढूंढ पाई और केस को बंद कर दिया। आजतक नजीब कहां और किस हालात में है, जिंदा है भी या नहीं ये किसी को नहीं पता।
राजीव दीक्षित: राजीव दीक्षित एक सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय राष्ट्रवादी थे, जिनका 43 वर्ष की आयु में 30 नवंबर, 2010 को निधन हो गया। वह स्वदेशी आंदोलन और आजादी बचाओ आंदोलन के नेता थे और करों के विकेंद्रीकरण की वकालत करते थे। इनकी मौत भी संदेह के घेरे में है। सवाल तब उठने लगा जब इतने बड़े स्वदेशी आंदोलन के नेता की मौत हो गई, लेकिन उनका पोस्टमार्टम तक नहीं कराया गया। अब इसे कार्डिएक अरेस्ट कहें या स्लो पॉइजनिंग? सवाल बने हुए हैं।
सुनंदा पुष्कर: सुनंदा पुष्कर एक व्यवसायी और कांग्रेस नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर की पत्नी थीं। वह दुबई स्थित TECOM इन्वेस्टमेंट्स में सेल्स मैनेजर और भारत स्थित Rendezvous Sports World की सह-मालिक थीं। पाकिस्तानी पत्रकार मेहर तरार और शशि थरूर को लेकर किए गए एक ट्वीट के अगले दिन 17 जनवरी 2014 को सुनंदा दिल्ली के एक होटल में मृत पाई गईं। पहले माना गया कि उन्होंने खुदकुशी की है। बाद की रिपोर्टों में कहा गया कि मौत का कारण अप्राकृतिक था; एम्स के डॉक्टरों ने प्रारंभिक शव परीक्षण की जो रिपोर्ट दी, उसमें उनके शरीर पर चोट के निशान पाए गए। उन्होंने कहा कि ये चोटें मौत का कारण हो भी सकती है और नहीं भी। अभी भी मामला कोर्ट में है और शशि थरूर इस मामले में आरोपी बनाए गए हैं।
रिजवानुर रहमान: रिजवानुर रहमान एक मध्यवर्गीय कंप्यूटर ग्राफिक ट्रेनर थे, जिन्हें लक्स होजरी ग्रुप के प्रमुख उद्योगपति अशोक टोडी की बेटी प्रियंका टोडी से प्यार हो गया और बाद में उनसे शादी कर ली।
प्रियंका का परिवार बेटी के रिजवानुर से शादी करने के फैसले से बेहद निराश था। 21 सितंबर 2007 को उनका शव कोलकाता में रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया था। इस घटना को आत्महत्या बताया गया। मई 2010 में, कोलकाता उच्च न्यायालय ने मामले की हत्या के रूप में फिर से जांच शुरू करने आदेश दिया। जांच सीबीआई को सौंप दी गई जहां अभी इस मामले की छानबीन जारी है।