मुंबई के अंडरवर्ल्ड में कभी राज करने वाला दाऊद आज न जाने कहां छिपा बैठा है। बीते दिनों ED ने मुंबई में दाऊद इब्राहिम के कुछ सहयोगियों के यहां छापेमारी की। इसी क्रम में आज बात डॉन के मैनेजर फारूक टकला की जो दाऊद के क्राइम सिंडिकेट को संभालता था।

मुंबई में 17 फरवरी, 1961 को जन्में फारूक टकला का पूरा नाम यासीन मंसूर मोहम्मद फारूक था। कभी फारूक केवल दाऊद के लिए काम करता था लेकिन भरोसे के चलते वह उसका मैनेजर बन गया। 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बम धमाकों में करीब 257 लोग मारे गए थे, 700 से अधिक घायल हुए थे और करोड़ों की संपत्ति नष्ट हुई थी। इन धमाकों के पीछे का मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम को बताया गया था।

दाऊद के अलावा एक नाम और पुलिस की हिटलिस्ट में था जो कि फारूक टकला का था। मुंबई बम धमाकों की योजना में मदद करने व विस्फोटों को अंजाम देने के बाद सभी आरोपियों को छिपने में मदद करने में फारूक टकला का ही हाथ था। सीबीआई ने माना था कि यासीन मंसूर मोहम्मद फारूक उर्फ फारूक टकला ही वह शख्स था दाऊद के क्राइम सिंडिकेट को चला रहा था।

मुंबई बम धमाकों के बाद फारूक फर्जी पासपोर्ट के सहारे देश छोड़कर दुबई भाग गया था और वहां कई आरोपियों को शरण दी थी। धमाकों के मामले में फारूक का भाई भी पकड़ा गया था लेकिन पुलिस के आरोप साबित न होने के कारण उसे कोर्ट ने बरी कर दिया था। सीबीआई का मानना था कि वह दुबई में ही बैठकर पूरी दुनिया में डी-कंपनी और दाऊद के कामों को मैनेज करता था।

फारूक पर मुंबई बम धमाके में सहयोगी होने समेत हत्या, अपहरण, रंगदारी सहित कई आपराधिक मामले दर्ज थे। फारूक टकला का नाम मुंबई के चर्चित जेजे हॉस्पिटल शूटआउट के आरोपियों में शामिल रहा। इस शूटआउट में दाऊद के गुर्गों ने अस्पताल में भर्ती गवली गैंग के शूटर शैलेश हलदानकर पर एके-47 से ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थी। इस शूटआउट में दो पुलिसकर्मी भी मारे गए थे।

कई सालों तक दुबई में रहने के बाद फारूक अपने खिलाफ जारी रेड कॉर्नर नोटिस के कारण पकड़ा गया था। इसके बाद विदेशी एंजेंसियों ने फिर भारतीय अधिकारियों को सूचित किया था। साल 2018 में भारत लाए जाने से पहले वह लगभग ढाई महीने तक नजरबंद रहा था। 8 मार्च 2018 को भारत लाए जाने के बाद उसे टाडा कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उसे मुंबई की ऑर्थर जेल भेज दिया गया था।