Bengaluru Dalit Man Suicide: डिजाइनर ड्रेस कंपनी लाइफस्टाइल इंटरनेशनल के दो वरिष्ठ अधिकारियों को बेंगलुरु की एक अदालत ने गुरुवार को गिरफ्तारी के खिलाफ अग्रिम जमानत दे दी। वहीं तीसरे कर्मचारी की जमानत याचिका पर सुनवाई को फिलहाल स्थगित कर दिया गया। तीनों कर्मचारियों पर 4 जून को एक दलित सहकर्मी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।

गिरफ्तार तीसरे कर्मचारी की जमानत पर सुनवाई टली, दो को अग्रिम जमानत

लाइफस्टाइल इंटरनेशनल के दो वरिष्ठ कर्मचारियों एग्जक्यूटिव मैलाथी एसबी और फर्म में एचआर प्रमुख कुमार सूरज को व्हाइटफील्ड पुलिस द्वारा मृतक दलित कर्मचारी विवेक राज के 67 वर्षीय पिता राजकुमार रामअवध की शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत दर्ज मामले में जमानत दे दी गई थी। निजी कंपनी के तीसरे अधिकारी शीर्ष खुदरा परिचालन कार्यकारी नीतीश कुमार की अग्रिम जमानत याचिका को आगे की सुनवाई के लिए सप्ताह के अंत तक स्थगित कर दिया गया। विवेक राज की मौत के बाद कथित तौर पर नीतीश कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया था।

NIFT से डिजाइन में स्नातक विवेक राज ने लगाया था जातिगत भेदभाव का आरोप

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से डिजाइन में स्नातक विवेक राज लाइफस्टाइल इंटरनेशनल में विजुअल मर्चेंडाइजर के रूप में काम करते थे। 4 जून को उन्होंने खुदकुशी कर ली। राज के पिता रामअवध ने कहा कि उनका बेटा बेंगलुरु में 10 साल से काम कर रहा था। पहले आरोपी मैलाथी उसके रिपोर्टिंग मैनेजर थे। वहीं बाकी दोनों आरोपी कुमार सूरज और नीतीश कुमार उस फर्म के वरिष्ठ अधिकारी हैं।

उत्पीड़न को छिपाने के लिए वे जितना संभव हो उतना पैसा फेंकने के लिए तैयार

खुदकुशी करने से पहले विवेक राज ने एक वीडियो बयान जारी कर कहा था कि उनके कार्यस्थल पर उसके मैनेजरों द्वारा उनके साथ जातिगत दुर्व्यवहार और भेदभाव किया गया था। इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाने के प्रयासों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। वीडियो में राज ने अपने कार्यस्थल पर वरिष्ठों पर जातिगत दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए अपने बयान में कहा, “उत्पीड़न को छिपाने के लिए वे जितना संभव हो उतना पैसा फेंकने के लिए तैयार हैं, लेकिन सिस्टम को सही या परिभाषित नहीं करते हैं।”

अपनी मौत से एक दिन पहले राज ने पुलिस से की थी शिकायत

अपनी मौत से एक दिन पहले राज ने बेंगलुरु में मराठाहल्ली पुलिस में अपने तीन अधिकारियों नीतीश कुमार, कुमार सूरज और मैलाथी के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 द्वारा परिभाषित अत्याचारों का आरोप लगाते हुए एक पुलिस शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कार्यस्थल पर उनके साथ जातिगत दुर्व्यवहार किया गया।

इसके बाद पुलिस ने एससी/एसटी एक्ट की धारा 3 (1) (आर) (किसी भी स्थान पर एससी/एसटी के सदस्यों को अपमानित करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना या डराना) और 3(1)(एस) (किसी भी स्थान पर जाति का नाम लेकर एससी/एसटी के किसी भी सदस्य के साथ दुर्व्यवहार करना) के तहत मामला दर्ज किया था।

राजस्थान के जालौर में दलित छात्र को टीचर ने पीटा हो गई मौत, मायावती ने उठाए बड़े सवाल | Video

कंपनी की सीनियर कर्मचारियों पर शिकायत नजर अंदाज करने का आरोप

रामअवध ने 4 जून को अपनी पुलिस शिकायत में कहा, “मेरे बेटे द्वारा दिए जा रहे कार्य फीडबैक को उसके वरिष्ठों द्वारा जानबूझकर अस्वीकार कर दिया गया था और इसक बाद उसने वरिष्ठ प्रबंधन को लिखा लेकिन उसकी शिकायतों को वहां भी नजरअंदाज कर दिया गया। वह मुझे इन चीजों के बारे में बताया करते था।” कुछ महीने पहले उनके मैनेजरों ने भी उनकी जाति के आधार पर उन्हें गाली देना शुरू कर दिया था। इसकी सूचना उच्च अधिकारियों को भी दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और मेरे बेटे को मानसिक रूप से आहत किया गया।