इस बार जब से तालिबान ने अफगनिस्तान पर कब्जा किया है, वो शांति की बात करता दिखाई दे रहा है। काबुल पर कब्जा करते ही उसने अफगानों के लिए आम माफी की घोषणा की थी, लेकिन वास्तवकिता इससे बिलकुल उलट है।
तालिबान का शीर्ष नेतृत्व यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वो 90 के दशक वाला संगठन नहीं है, वो क्रूर नहीं है, लेकिन जमीन पर उसके लड़ाके वही कर रहे हैं जो 90 के दशक में करते थे। पूर्व सरकार में शामिल अधिकारियों का मार रहे हैं, धमका रहे हैं। यहां तक कि ये देश के उन कलाकारों को भी नहीं छोड़ रहे जिनके संगीत और फिल्में वर्षों तक अफगानिस्तान में सुनी और देखी जाती रही है।
तालिबान की वापसी के बाद से कई ऐसे मामले सामने आए हैं जो शांति का पाठ पढ़ाने वाले इस संगठन की सच्चाई बताने के लिए काफी है।
लोक गायक फवाद अंदराबी की हत्या- तालिबानी लड़ाकों ने अफगानी लोक गायक फवाद अंदराबी की हत्या खेतों में ले जाकर कर दी। उनके सिर में लड़ाकों ने गोली मार दी। फवाद अफगान में काफी लोकप्रिय थे। उनकी गीतों में अफगान की संस्कृति की झलक रहती थी।
नाजनीन हत्याकांड – बल्ख प्रांत में तालिबान ने एक लड़की की सिर्फ मार दिया क्योंकि उसने टाइट कपड़े पहन रखे थे और उसके साथ कोई कोई पुरुष साथी नहीं था। लड़की का नाम नाजनीन था और उसकी उम्र 21 साल थी। लड़की अपने घर से बल्ख की राजधानी मजार-ए-शरीफ जा रही थी। वो अपने घर से निकलकर गाड़ी में बैठ ही रही थी कि तभी आतंकियों ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी।
कॉमेडियन नजर मोहम्मद की हत्या– अफगानिस्तान के मशहूर कॉमेडियन नजर मोहम्मद की हत्या भी तालिबान ने बीते दिनों कर दी थी। नजर मोहम्मद, खाशा जवान के नाम से भी जाने जाते थे। अफगानिस्तान के दक्षिणी हिस्से में नजर काफी लोकप्रिय थे। आम तौर पर ये तालिबान और मिलेशिया के ऊपर कॉमेडी वीडियो बनाते थे। जिस समय इन्हें लड़ाके इनके घर से खींच कर ले जा रहे थे, उस समय भी ये जोक सुनाकर हस ही रहे थे।
सलीमा मजारी की गिरफ्तारी– सलीमा मजारी अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर थीं। माजरी हजारा समुदाय से आती हैं। समुदाय के ज्यादातर लोग शिया हैं, जिन्हें सुन्नी मुसलमानों वाला तालिबान बिलकुल भी पसंद नहीं करता है। तालिबान के लड़ाके इस समुदाय को नियमित रूप से निशाना बनाते रहे हैं। अफगानिस्तान के कब्जे के बाद तालिबान ने मजारी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया है।
पत्रकार ने छोड़ा देश– पिछले दिनों एक महिला पत्रकार बेहेस्ता अर्गंद ने एक तालिबानी प्रवक्ता का इंटरव्यू लिया था। अर्गंद पहली महिला पत्रकार थी जिसने किसी तालिबानी का इंटरन्व्यू किया था। लेकिन फिर खबर आई कि उन्होंने तालिबान के डर से देश छोड़ दिया है और जान बचाने के लिए विदेशों में शरण ले ली है।
महिला पुलिस कर्मी की हत्या– तालिबानी लड़ाकों ने एक गर्भवती महिला पुलिसकर्मी की हत्या उसके परिवार के सामने ही कर दी। लड़ाकों को जैसे ही ये निगारा नाम की ये पुलिसकर्मी मिली, उसे घसीटते हुए घर से निकाला और पति-बच्चों के सामने ही गोली मार दी।
जान बचाकर भागी महिला जज– तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करते ही जेल में बंद अपने लड़ाकों को रिहा कर दिया है। अब ये लड़ाके उन जजों और अधिकारियों के लिए खतरा बने हुए हैं जिन्होंने इन्हें सजा सुनाई या दिलवाई थी। ऐसी ही एक महिला जज जब जान बचाकर यूरोप पहुंची तो उसने तालिबान की दरिंदगी की कहानी सुनाई। उसने कहा कि तालिबान के चार से पांच लड़ाके उसके घर पहुंचे थे और उसके बारे में पूछ रहे थे। ये वो लड़ाके थे जिन्हें कभी महिला जज ने सजा सुनाई थी।
सरेंडर करो या मरो की धमकी– तालिबान उन लोगों को धमकी भरे पत्र भेज रहा है जिन्होंने कभी अमेरिका और उसके सहयोगियों की मदद की थी। तालिबान के मुहर लगे पत्र खुलेआम संबंधित घरों पर चिपकाए जा रहे हैं। जिसके जरिए उन्हें हाजिर होने या मरने की धमकी दी जा रही है।
जान बचाकर भागी पॉप स्टार- अरयाना सईद अफगान की जानी मानी पॉप स्टार हैं। इनके काफी फैन वहां हैं, लेकिन जैसे ही तालिबान काबुल पहुंचा वो भागने की कोशिश में लग गई। तालिबान इस पॉप स्टार को खोजने के लिए इनके घर तक पहुंच गया था। पहली बार असफल रहने पर, दूसरी बार वो किसी तरह से अफगानिस्तान से निकल पाईं।
नरेंद्र सिंह खालसा, सांसद– भारतीय मूल के अफगान सांसद नरेंद्र सिंह खालसा भी किसी तरह से अफगानिस्तान से निकलकर भारत पहुंचे। अफगान नागरिक होने की वजह से तालिबान इन्हे सिखों के उस जत्थे के साथ नहीं आने दे रहा था जिसे भारतीय सेना के जहाज वहां से निकालने की कोशिश कर रहे थे।
ये तो कुछ मामले हैं जो लोगों के सामने आ पाए हैं। बाकि तालिबानी क्रूरता का तो पता हीं नहीं। तालिबान के कारण कितने कलाकार, समाजसेवी, राजनेता देश छोड़कर भाग चुके हैं। इतना ही नहीं आम जनता को भी जैसे ही मौका लग रहा है वो भी अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए हैं या भागने की कोशिश कर रहे हैं।