साहसी अफसरों की इस कड़ी में आज बात के विजय कुमार की। के विजय कुमार का जन्म 15 सितंबर 1952 को एक पुलिस अफसर कृष्णन नायर के घर हुई थी। के विजय कुमार का जन्म केरल के पालाकड में हुआ था। उनका पालन-पोषण तमिलनाडु में हुआ। के विजय कुमार बचपन में अपने पिता को वर्दी में देखते थे और उन्हें अपना हीरो मानते थे।
उन्होंने Madras Christian College से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने साल 1975 में सिविल सर्विस की परीक्षा पास की। एक आईएएस के तौर पर सफल होने के बावजूद उन्होंने आईपीएस बनने की ठानी और उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला। उन्होंने अपना करियर पट्टूकोट्टाई में असिस्टेंट पुलिस सुपरिटेन्डेंट के तौर पर शुरू की। इसके बाद वो त्रिची और सेम्बियाम में भी पोस्टेड रहे। इसके अलावा वो धर्मापुरी, सालेम, वेल्लोर और डिंडीगुल में बतौर पुलिस अधीक्षक भी पोस्टेड रहे। साल 1985 से 1990 के दौरान वो एसपीजी के हिस्सा रहे, इस दौरान उन्होंने राजीव गांधी की सुरक्षा का जिम्मा भी संभाला।
इसके अलावा वो कश्मीर में बीएसएफ के आईजी भी रहे। सेंट्रल डेपुटेशन के बाद वो वापस तमिलनाडु आए। साल 2001 में वो चेन्नई सिटी में कमिश्नर ऑफ पुलिस बने। उनकी गिनती सिटी के सबसे अच्छे कमिश्नर के तौर होती है। इस दौरान उन्होंने कई कुख्यात गुंडों और क्रिमिनल्स को जेल की सलाखों के पीछे भी बंद किया।
साल 2004 में चंदन तस्कर वीरप्पन को घेर कर उसे उसके अंजाम तक पहुंचाने वालों में के विजय कुमार का नाम शुमार है। वीरप्पन प्रसिद्ध व्यक्तियों की हत्या तथा अपहरण के बल पर अपनी मांग रखने के लिए भी कुख्यात था। 1987 में उसने एक वन्य अधिकारी की हत्या कर दी।
10 नवम्बर 1991 को उसने एक आई एफ एस ऑफिसर पी श्रीनिवास को अपने चंगुल में फंसा कर उसकी निर्मम हत्या कर दी थी। साल 2010 में जब नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में सीआरपीएफ के 75 जवानों की हत्या कर दी, तब नक्सलियों पर नकेल कसने के लिए के विजय कुमार को सीआरपीएफ का डायरेक्टर जनरल बनाया गया था। के विजय कुमार ने नक्सलियों की मांद में घुसकर उनसे लोहा लिया और उनका सफाया कर दिया।
सेवानिवृत होने के बाद के विजय कुमार साल 2012 में वो केंद्रीय गृह मंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार भी बने। आईपीएस अधिकारी ने कई बड़े अवार्ड भी अपने नाम किये हैं। के विजय कुमार फिटनेस को लेकर भी शुरू से ही फिक्रमंद रहे हैं। के विजय कुमार ने ‘वीरप्पन’ नाम से एक किताब भी लिखा था।