90 के दशक में छोटा राजन और उसके सहयोगी दाउद इब्राहिम के लिए काम करते थे। इन्हीं में से एक नाम डॉन संतोष शेट्टी का भी है। हालांकि संतोष शेट्टी को उन अपराधियों में गिना जाता था, जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के साथ नई से नई टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी रखते थे। वहीं, संतोष शेट्टी के जुर्म की दुनिया में आने की कहानी एक फिल्म जैसी है। जल्दी अमीर बनने की चाहत ने उसे अपराध के रास्ते पर धकेल दिया था।

मुंबई के रहने वाले संतोष शेट्टी ने अपनी स्कूलिंग डीजी भार्डा स्कूल से की थी। इसके बाद उसने एलएलआर कॉलेज में दाखिल लिया और होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा पूरा किया। वह कुछ दिनों मुंबई के एक होटल बतौर ट्रेनी काम भी कर चुका था, लेकिन साल 1988 आते-आते जल्दी पैसे कमाने की सनक में संतोष शेट्टी मादक पदार्थों की तस्करी करने लगा। इसके बाद वह सोने की तस्करी भी करने लगा।

दो साल के भीतर संतोष शेट्टी तस्करी का बड़ा नाम था और मुंबई के अलावा गुजरात व तमिलनाडु में भी तस्करी का माल पहुंचाने लगा था। साल 1990 में वह पुलिस के निशाने पर आ गया और नशीले पदार्थों की तस्करी मामले में कई केस दर्ज हो गए। 1992 तक संतोष शेट्टी ने नशीले पदार्थों की तस्करी के काम को अपनी चतुराई से बड़े पैमानों पर फैलाया। इधर साल भर बाद हुए मुंबई बम धमाकों ने पुलिस को एक आदमी यानी दाउद इब्राहिम के ऊपर टिका दिया।

साल 1994 में संतोष शेट्टी को छोटा राजन का साथ मिला। राजन भी दाउद से अलग होने की कोशिश में था। ऐसे में संतोष शेट्टी ने छोटा राजन को सलाह दी कि वह भी दाउद की तरह विदेश जाए और वहां से धंधा चलाए। जब छोटा राजन बैंकॉक गया तो इधर मादक पदार्थ की तस्करी के मामले में संतोष शेट्टी को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद वह 5 साल नासिक जेल में बंद रहा। साल 1999 में जेल से छूटा तो सीधे बैंकॉक निकल गया।

साल 2000 में दाउद ने छोटा राजन पर हमला करवाया लेकिन वह बच गया। इसके बाद उसे अस्पताल से निकालने वाला संतोष शेट्टी ही था। हालांकि, कई साल साथ में काम करने के बाद 2004 में शेट्टी और छोटा राजन में पैसों को लेकर कुछ अनबन हो गई। इसके बाद वह राजन से अलग हो गया। संतोष ने इस दौरान अपनी काली कमाई को बैंकाक व इंडोनेशिया के कई बड़े होटलों में खपाया था। वहीं, संतोष शेट्टी का नाम मुंबई में छोटा राजन के सहयोगी फरीद तनाशा और 2010 में भरत नेपाली की हत्या में भी आया था।

माना जाता है कि पहले संतोष शेट्टी ने भरत नेपाली के हाथों फरीद की उसके घर में हत्या करवाई। फिर 2010 में भरत नेपाली को धोखे से बैंकॉक बुलाकर मारने वाला संतोष शेट्टी ही था। इसके बाद, 4 अगस्त 2011 में संतोष शेट्टी को बैंकॉक के एक बार से गिरफ्तार कर लिया गया था। स्थानीय पुलिस को उसके पास से दो पासपोर्ट बरामद हुए थे। इसमें एक संतोष शेट्टी के नाम से था, जबकि दूसरा निकोलस शर्मा के नाम से था।

भारत आने के बाद संतोष शेट्टी पर साल 1990 से दर्ज मामलों में कार्रवाई की गई। उसे अपहरण व फिरौती के मामलों में साल 2012 व 2014 में भी गिरफ्तार किया गया था। साथ ही एक समय केबल ऑपरेटर से 50 लाख की रंगदारी मांगने के चलते वह ऑर्थर जेल में भी बंद रहा था। वहीं बीते साल शेट्टी का नाम बीते साल तब सुर्ख़ियों में था, जब उसे फर्जी पासपोर्ट केस में बरी कर दिया गया था।