शैतान, हैवान, राक्षस…दिल्ली के शाहबाद डेरी में साक्षी की हत्या करने वाले साहिल के सामने ये सारे शब्द छोटे हैं। उसके चेहरे की हंसी को देखिए ये इंसान के रूप में राक्षस की हंसी है। जैसे उसने किसी रणभूमि में जीत हासिल कर ली हो। उससे भी ज्यादा खतरनाक वे लोग हैं जो साक्षी को मरते हुए देखकर खामोश रहे। उन्होंने 16 साल की मासूम की चीख को अनसुना कर दिया। उन्हें जरा भी कोई फर्क नहीं पड़ा। शायद उन्हें लगा को कि मामला उनके घर का थोड़ी है। उनके घर की बेटी थोड़ी मारी जा रही है। उन्हें देखकर हत्यारे साहिल के हौंसले और बुलंद हो गए। साहिल को लगा कि उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाएगा। वह तो किसी भी हाल में साक्षी को मारना चाहता था। उस पर हत्या करने का भूत सवार था।

इतना तो पता चल चुका है कि साक्षी की हत्या साहिल ने की है मगर क्या वे लोग दोषी नहीं है कि जिन्होंने साक्षी को उनकी आंखों के सामने मरने दिया। सीसीटीवी में यह साफ दिख रहा है कि जब साहिल चाकू से ताबड़तोड़ साक्षी पर हमला कर रहा है तो वहां कई लोग मौजूद हैं। सड़क पर लोग आ जा रहे हैं। महिलाएं, लड़के, लड़कियां सभी उसी रास्ते से गुजर रहे हैं। वे देख रहे हैं कोई सिरफिर एक नाबालिग लड़की को मार रहा है मगर वे कुछ नहीं करते हैं।

वे ऐसे देख रहे हैं जैसा स्क्रीन पर फिल्म चल रही हो। ऐसा लग रहा है जैसे कुछ हो ही नहीं रहा है? लड़की को मरता देख दिल्ली वाले ऐसे खामोश हैं जैसे उनका दिल पत्थर का हो चुका है। लोग झूठ बोलते हैं कि दिल्ली के लोगों के पास दिल है क्योंकि इस घटना को देखकर यह कहावत झूठी पड़ जाती है। हकीकत तो ये है कि दिल्ली वालों का दिल पत्थर का हो चुका है। अगर वहां मौजूद लोग जरा सी कोशिश करते तो साक्षी बच सकती थी।

लोग चाहते तो साक्षी बच सकती थी

अगर लोग चाहते तो साक्षी की जान बच सकती थी। जिस तरह साहिल ने लड़की पर करीब 40 बार चाकू से हमला किया। पत्थर से चेहरे और सिर को कुचला…सीसीटीवी फुटेज देख रोंगटे खड़े हो जाते हैं। अगर वहां मौजूद लोगों ने हाथों में पत्थर उठा लिया होता तो उसकी इतनी हिम्मत ना होती।

लड़की की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह उससे दोस्ती नहीं रखना चाहती थी। साहिल ने उससे इसी बात का बदला लिया। सीसीटीवी फुटेज देख कलेजा फट जाता है मगर घटनास्थल पर मौजूद लोगों के लिए वह एक सामान्य सी बात थी। मानो वह सिनेमा में बैठकर फिल्म देख रहे हों। यहां तक कि किसी ने पुलिस को फोन करना भी जरूरी नहीं समझा। लोग कहते हैं कि सुनसान जगह पर लड़कियों के लिए खतरा है मगर इस वीडियो को देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि दिल्ली में लड़कियां कहीं भी सुरक्षित नहीं है। अगर आपको लगता है कि सड़क पर भीड़ है तो आप सेफ हैं तो यह आपकी सबसे बड़ूी भूल है। इस दर्दनाक सीन को देखकर हमें ये लाइनें याद आती हैं…

यहां इक खिलौना है इसां की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…