Written by Omkar Gokhale
मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर 2 मई, 2013 को तेजाब फेंके जाने के बाद प्रीति राठी की मौत के सात महीने हो गए थे। मुंबई पुलिस अपराध शाखा (Crime Branch) को मामला सौंपे जाने के भी लगभग 45 दिन हो गए थे। लेकिन मुंबई पुलिस कोई सफलता हासिल करने में नाकाम रही। जांच फंसने के बाद पुलिस ने आखिरी कोशिश में एक टीम दिल्ली भेजने का फैसला किया। प्रीति दिल्ली में ही रहती थी। यह यात्रा कामयाब रही क्योंकि मुंबई पुलिस के हाथों एक बेहद अहम सुराग लगा।
दिल्ली में मुंबई पुलिस को कैसे मिला बेहद अहम सुराग
मुंबई पुलिस के हाथ दिल्ली में लगे सुराग उन्हें सीधे प्रीति के 23 वर्षीय पड़ोसी अंकुर पंवार तक ले गया। अंकुर पंवार को बाद में हत्या का दोषी ठहराया गया था। दिल्ली में राठियों और उनके साथ यात्रा करने वाले रिश्तेदारों के रेलवे टिकटों के बारे में पूछताछ करने पर पुलिस को यह अहम सुराग मिला था। एक रिश्तेदार ने प्रीति के परिवार को बताया था कि प्रीति ने उससे पंवार के बारे में बात की थी।
सरकारी गवाह बने प्रीति के रिश्तेदार ने परिवार को दी जानकारी
इस मामले में बाद में सरकारी गवाह बन गए संबंधित रिश्तेदार ने पुलिस को बताया कि प्रीति ने कबूल किया था कि पंवार ने उससे पूछा था कि वह मुंबई क्यों जा रही थी और दावा किया था कि अगर उसने ऐसा किया तो अच्छा नहीं होगा। रिश्तेदार ने पुलिस को बताया कि प्रीति ने उसे बताया था कि पंवार ने एक बार उसे रोका था और शादी का प्रस्ताव रखा था। उसने कहा कि प्रीति ने प्रस्ताव ठुकरा दिया है और पहले अपने करियर पर ध्यान देने को कहा है।
मौत से पहले स्केच दिखाने पर प्रीति राठी ने भी की थी पहचान
रिश्तेदार ने कहा कि उसने प्रीति के साथ इस बातचीत को तब तक हल्के में लिया था जब तक कि उसकी मौत के बाद उसने प्रीति राठी परिवार को यह बात नहीं बता दी। इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने 2 जनवरी 2014 को अंकुर पंवार को गिरफ्तार कर लिया। होटल प्रबंधन में ग्रेजुएट अंकुर पंवार दिल्ली में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड क्वार्टर में प्रीति राठी का पड़ोसी था। वह पहले से ही पुलिस के रडार पर था क्योंकि प्रीति ने अपनी मौत से पहले आरोपी के स्केच दिखाए जाने पर उसे एक संदिग्ध के रूप में नामित किया था।
अंकुर के हाथों पर जलने का घाव बना मामले में सबसे पुख्ता सबूत
पुलिस को अंकुर पंवार के हाथों पर जलने के घाव मिले। इससे उनका शक पुख्ता हो गया और मेडिकल एक्सपर्ट की राय में यह एसिड के कारण जला था। इसके बाद यह दाग इस मामले में पुख्ता सबूत बन गया। अदालत के आदेश में दर्ज विक्रेता के बयान के मुताबिक पंवार ने ‘अंकुर बैटरी’ के नाम से व्यवसाय शुरू करने के बहाने एसिड खरीदा था। पुलिस ने अंकुर पंवार को दिल्ली से मुंबई लाकर भी उसकी शिनाख्त और मेडिकल करवाया।
9 साल 7 महीने की कड़ी मेहनत के बाद ASI रहे राजेंद्र भोंसले ने बच्ची को कैसे ढूंढ निकाला ? Video
मौत की सजा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदला
8 सितंबर 2016 को एक सत्र अदालत ने अंकुर पंवार को प्रीति राठी की हत्या का दोषी ठहराया और मौत की सजा सुनाई। 12 जून, 2019 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने “सजा कम करने वाली परिस्थिति” पर विचार करते हुए मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। कोर्ट ने कहा कि घटना के समय अंकुर पंवार 23 वर्षीय “युवा लड़का” था, जिसका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। कोर्ट ने कहा कि मौत की सज़ा देने के लिए यह मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ श्रेणी में नहीं आएगा।
क्या है प्रीति राठी एसिड अटैक का पूरा मामला
मुंबई के बांद्रा टर्मिनस पर 2 मई 2013 को प्रीति राठी, उनके पिता और दो अन्य रिश्तेदार गरीब रथ एक्सप्रेस से उतरे। प्रीति को कोलाबा में आईएनएचएस असविनी में सेकेंडरी लेफ्टिनेंट (नर्सिंग) के रूप में चुना गया था। सब लोग उसकी ज्वाइनिंग के लिए मुंबई पहुंचे थे। प्रीति जैसे ही स्टेशन पर उतरी रूमाल से चेहरा ढका हुआ एक आदमी उस पर एसिड फेंक कर भाग निकला। इसके एक महीने से भी कम समय में इलाज के दौरान एक जून को प्रीति की दर्दनाक मौत हो गई थी।