केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी कर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके सहयोगी सगंठनों को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया गया है। पीएफआई पर यह प्रतिबंध सरकार द्वारा हाल ही के दिनों में अलग-अलग ठिकानों में जारी छापेमारी के बाद आया है, साथ ही इस संगठनों से जुड़े कुछ नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है। गिरफ्तार किए गए इन नेताओं में कोई सरकारी कर्मचारी है तो कोई लेक्चरर..यहां तक कि कोई टेक कंपनी को भी चलाता है। ऐसे में जानते हैं कि यह नेता आखिर किस पेशे से जुड़े हैं।

ओएमए सलाम, पीएफआई चीफ

ओएमए सलाम..PFI अध्यक्ष। हालांकि, अब पीएफआई की सभी शाखाओं को भंग कर दिया गया है। ओएमए सलाम, केरल सरकार के बिजली विभाग में एक कर्मचारी रहे हैं, जिसे साल 2020 में निलंबित कर दिया गया था; अब उनके खिलाफ जांच चल रही है। सलाम के रिहैब इंडिया फाउंडेशन से भी संबंध हैं। सलाम साल 2000 में एनडीएफ के राज्य सचिव रहे और 2007 से पीएफआई से जुड़ गए थे।

ईएम अब्दुर रहमान, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

केरल के एर्नाकुलम से आने वाला ईएम अब्दुर रहमान एक सेवानिवृत्त लाइब्रेरियन है। रहमान ने अपने पेशे में रहते हुए कोचीन साइंस और टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में सेवाएं दी हैं। रहमान 70 के दशक में सिमी (अब प्रतिबंधित संगठन) में शामिल हुआ और बाद में इसका अखिल भारतीय अध्यक्ष बना। रहमान की भूमिका पीएफआई के साथ अन्य संगठनों के गठन में मानी जाती है।

अब्दुल वाहित सैत, राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य

पीएफआई के संस्थापक सदस्यों में से एक अब्दुल वाहित सैत एक संपन्न मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखता है और फिलहाल बेंगलुरु में रहता है। अब्दुल वाहित- टैली, ईआरपी और सॉफ्टवेयर से जुड़ी टेक कंपनी चलाता है। वह शिवाजी नगर के कच्छी मेमन समुदाय से जुड़ा हुआ है।

अनीस अहमद, राष्ट्रीय महासचिव

PFI के राष्ट्रीय महासचिव पद पर रहे अनीस अहमद ने हाल ही में निकाले जाने से पहले छह महीने तक बेंगलुरू के एरिक्सन में ग्लोबल टेक्निकल मैनेजर के रूप में काम किया था। अनीस अहमद को सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव माना जाता रहा है और उसे समय-समय पर मुद्दों पर अपनी बात रखते हुए देखा गया है।

ई अबूबकर

कालीकट से आने वाले ई अबूबकर, साल 1982 से 1984 तक सिमी के केरल प्रदेश अध्यक्ष थे। वह एसडीपीआई के संस्थापक अध्यक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के संस्थापक सदस्य होने के अलावा एनडीएफ और रिहैब इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावा, वह थेजस दैनिक समाचार पत्र के प्रबंध संपादक होने के अलावा इंडिया नेक्स्ट हिंदी पत्रिका के संपादक भी रहे हैं।

पी कोया, राष्ट्रीय महासचिव (NCHRO)

पी कोया, अब प्रतिबंधित पीएफआई फ्रंट नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO) के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। वह 1978-79 के दौरान एक सक्रिय सिमी कार्यकर्ता थे। पी कोया कभी कतर में एक निजी कंपनी के काम करते थे फिर बाद में केरल के कोझिकोड विश्वविद्यालय में लेक्चरर के तौर पर काम किया। कोया ने 2014 का लोकसभा चुनाव मलप्पुरम से एसडीपीआई उम्मीदवार के रूप में लड़ा था।