जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और अन्य लोगों की हत्याओं के आरोपी रहे आतंकी बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज केस वापस खोलने की मांग को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पीड़ित सतीश टिक्कू के परिजनों को याचिका की हार्ड कॉपी जमा करने को कहा है। इसके अलावा अदालत ने बिट्टा कराटे के वकील को भी हार्ड कॉपी दाखिल करने को कहा है।
आपको बता दें कि, कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के करीब 31 साल बाद आतंकी बिट्टा कराटे के खिलाफ दोबारा से केस खोलने की मांग की गई है। श्रीनगर की कोर्ट में सतीश टिक्कू के परिजनों ने याचिका दायर की है। सतीश टिक्कू के परिवार की तरफ से वकील उत्सव बैंस पक्ष रख रहे हैं। अब इस मामले में 16 अप्रैल को फिर से सुनवाई होगी।
बिट्टा कराटे को कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों और हत्याओं के लिए 1990 में जेल भेजा गया था। जेल से छूटने के बाद वह अलगाववादी नेता के तौर पर सामने आया था। एक इंटरव्यू में बिट्टा कराटे ने खुद करीब 20 हत्याओं की बात कबूली थी। इस इंटरव्यू में बिट्टा यह भी कहते हुए देखा जा सकता है कि अगर उसे अपने मां और भाई का भी कत्ल करने को कहा जाता तो कभी न हिचकता।
बिट्टा कराटे ने इस इंटरव्यू में बताया था कि उसने एक कश्मीरी पंडित सतीश टिक्कू की हत्या करने के साथ ही घाटी में हत्याओं को शुरू किया था। बिट्टा कराटे का असली नाम फारुख अहमद डार है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिट्टा मार्शल आर्ट में माहिर है इसीलिए लोग उसे बिट्टा कराटे कहने लगे। बिट्टा कराटे के ऊपर करीब डेढ़ दर्जन मामले दर्ज थे लेकिन साल 2006 में टाडा अदालत ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया था।
गौरतलब है कि बीते दिनों ही जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बिट्टा कराटे और यासीन मलिक के खिलाफ दर्ज केस खोलने के संकेत दिए थे। जिसमें उन्होंने कहा था किसी भी आतंकी को बख्शा नहीं जाएगा और सभी के खिलाफ दर्ज मामलों में जांच की जाएगी। बिट्टा कराटे जेकेएलएफ (JKLF) यानी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के साथ जुड़ा रहा था।