मुंबई में इस साल के शुरुआती महीने यानी जनवरी में एक अज्ञात शख्स की निजामपुर इलाके में लाश मिली। यह तारीख 20 जनवरी थी और जगह भिवंडी का रुपाला ब्रिज। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को बरामद किया और जांच शुरू की। इस कत्ल के बाद जांच में पुलिस उस वक्त हैरान रह गई जब उसने पाया कि मामले में कातिल ही गवाह बन चुका था। अब आपको बताते हैं इस कत्ल के पीछे की पूरी कहानी।
मुंबई में निजामपुर इलाके में 20 जनवरी की सुबह निजामपुरा पुलिस को भिवंडी के रूपाला ब्रिज के नीचे खून से लथपथ सफेद बोरे के बारे में सूचना मिली। मौके पर पहुंची पुलिस को अंदर एक युवक का शव मिला। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मृतक को बुरी तरह पीटा गया था क्योंकि उसके शरीर के सिर, गर्दन और छाती पर निशान थे।
जब शव के आसपास जांच पड़ताल की गई तो पुलिस को मृतक की जेब से एक दवाई का पर्चा और एक हेडफोन भी मिला। इसके अलावा मृतक के कपड़ों पर लाल और सुनहरे रंग के धब्बे मिले। हालांकि, पुलिस को मामले में संदेह हुआ कि जिस शख्स के पास हेडफोन है उसके पास कोई मोबाइल फोन कैसे बरामद नहीं हुआ। इसके बाद कत्ल को सुलझाने के लिए पुलिस ने तीन टीमें बनाई।
जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि मृतक के कपड़ों पर जो लाल और सुनहरे रंग के धब्बे मिले थे, वैसे निशान पर्ल वर्कशॉप में काम करने वालों के कपड़ों में पड़ जाते हैं। हालांकि, फटे हुए दवाई के पर्चे से कोई बड़ी सफलता नहीं मिली। डॉक्टर ने पूछताछ में बताया कि उसके पास सैकड़ों मरीज आते है, इसलिए कुछ बता पाना मुश्किल हैं। इस दौरान जांचकर्ताओं की टीम में शामिल एसीपी ढोले को सूचना मिली कि एक महिला पर्ल वर्कशॉप (मोती की दुकान) में काम करने वाले अपने पति के बारे में पूछताछ कर रही है।
पुलिस ने महिला के बारे में जानकारी जुटाई लेकिन वह शव की शिनाख्त नहीं कर पाई। इस बीच शख्स के बड़े बेटे ने गले में पड़े ताबीज से पहचान कर ली और बताया कि मृतक का नाम अरमान शेर अली शाह है। इसी दौरान, मो. सलमान नाम के शख्स ने पुलिस को बताया कि उसने हत्या होते हुई देखी थी और आरोपी का स्केच बनवाने लगा। उन्हीं कुछ घंटों में पुलिस को मृतक के कॉल डिटेल में एक नंबर मिला जो सलमान का ही था।
पुलिस हैरान रह गई कि कातिल ही केस में गवाह बनकर स्केच बनवा रहा था। पूछताछ में उसने जुर्म कबूल लिया और कहा कि कत्ल में शामिल एक अन्य आरोपी ने उसे पुलिस को गुमराह करने के लिए कहा था। खुलासे में पता चला कि मृतक की दोस्ती तस्लीम हलीम अंसारी नाम के शख्स से थी। करीबी बढ़ी तो वह घर भी आने लगा तभी तस्लीम का मृतक की पत्नी से प्रेम संबंध स्थापित हो गया।
जब इस बात की जानकारी मृतक को हुई तो उसने पत्नी के अकेले बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी। तभी तस्लीम ने मो. सलमान और बिलाल नाम के युवक के साथ हत्या की योजना बनाई। फिर 19 जनवरी को तस्लीम ने मृतक को फोन कर मिलने बुलाया। मृतक जैसे ही उनके पास पहुंचा तो पहले उसे बेरहमी से पीटा गया।
जब वह नहीं मरा, तो उन्होंने उसे लोहे की रॉड से मारा और बाद में उसकी गर्दन पर तब तक वार किया जब तक कि उसकी मौत नहीं हो गई। इसके बाद आरोपियों ने शव को बोरे में भरकर पुल के नीचे फेंक दिया। लेकिन जब तस्लीम को पता चला कि पुलिस को शाह का शव मिल गया है उसने सलमान को पुलिस अधिकारियों से मिलने और केस को गुमराह करने की साजिश रची, ताकि वह जल्द से जल्द मुंबई छोड़कर भाग सके।