दुनिया में कई सारे कुख्यात सीरियल किलर्स के बारे में आपने कहानियां सुनी होंगी। लेकिन एक ठग बहराम नाम का एक ऐसा सीरियल किलर था, जिसका नाम 900 से ज्यादा कत्लों के साथ गिनीज बुक रिकॉर्ड में दर्ज है। ठग बहराम का नाम अपराध की दुनिया में इतना कुख्यात था कि अंग्रेजों ने उसे पकड़ने के लिए 10 सालों तक पीछा किया था। अक्सर कातिल हत्या के लिए किसी हथियार का प्रयोग करते हैं, लेकिन बहराम रुमाल से मौत देता था।

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान देश में ठगी और लूट को अंजाम देने वाले बदमाशों पर शोध करने वाले जेम्स पैटन ने ठग बहराम के बारे में बताया था कि उसका जन्म साल 1765 के आसपास में हुआ था। ठग बहराम का आपराधिक इतिहास साल 1790 से लेकर 1840 तक रहा। इस दौरान उसने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। जेम्स पैटन और गिनीज बुक रिकॉर्ड के मुताबिक, बहराम ने कुल 931 लोगों को मारने का आरोप था। जिनमें से पर्यटक, सैनिक और श्रद्धालु शामिल थे।

ठग बहराम ने बड़े स्तर की लूटपाट को अंजाम देने के लिए एक गैंग बना ली थी। इन लोगों का काम श्रद्धालुओं और सैलानियों के जत्थे में शामिल होना होता था। फिर रास्ते में जब कभी सैलानी/श्रद्धालु थक कर सो जाते थे तब बहराम व उसका गैंग सोए हुए लोगों की हत्या कर सारा सामान लूट लेता था। बताया जाता है कि बहराम गैंग के सदस्य वारदात को अंजाम देने से पहले गीदड़ जैसी आवाज निकालकर अपने साथियों को सतर्क करते थे।

गिरोह के अलावा ठग बहराम अपने पीले रंग के रुमाल का इस्तेमाल कर लोगों का गला घोंट दिया करता था। उस वक्त दिल्ली से लेकर विंध्य क्षेत्र (एमपी) और यूनाइटेड प्रोविंस (अब यूपी) तक ठग बहराम खौफ का दूसरा नाम बन चुका था। यहां तक कि कोई भी उन रास्तों से सफर नहीं करता जिधर बहराम के गिरोह के होने की आशंका हुआ करती थी। साल 1809 मे अंग्रेज अफसर कैप्टन विलियम स्लीमैन को गायब हो रहे लोगों के रहस्य का पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

दरअसल, उस वक्त लोगों के शव मौत के बाद गायब होने शुरू हो गए थे। अंग्रेजी हुकूमत भी हैरान थी और आखिरकार 10 सालों की कड़ी मशक्कत के बाद कैप्टन स्लीमैन ने बहराम को गिरफ्तार कर पाए। कैप्टन स्लीमैन की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि बहराम ठग का गिरोह ही लूटपाट और हत्याओं को अंजाम देता था। जांच के मुताबिक, इस गिरोह में करीब 200 सदस्य थे। ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ के अनुसार सन् 1790-1840 के बीच ठग बहराम के नाम पर 931 सीरियल किलिंग दर्ज हैं, जो कि विश्व रिकॉर्ड है। साल 1840 में उसे अंग्रेज सरकार ने सजा-ए-मौत दे दी।