23 अक्टूबर 2018 को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी किरण चौधरी ने रात करीब 11.47 मिनट पर बेंगलुरु से अपने बॉस यानी डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस दीपन भद्रन को व्हाट्सऐप से मैसेज भेजा कि ‘मिल गया वो।’ यहां बात हो रही थी 42 साल के शख्स तरुण जनेजा की जिसने अपनी ‘सजनी’ का कत्ल 14 फरवरी साल 2003 को किया था। 15 साल तक तरुण पुलिस को भटकाता रहा। वो पहचान बदलकर बेंगलुरु में रहता था। उसने अपना नाम बदलकर प्रवीण भाट्ले कर लिया था और उसने करीब 10 साल पहले निशा मेनन नाम की एक महिला से शादी भी कर ली थी। इन दोनों को 2 बच्चे भी हैं। इन 15 सालों में किरण चौधरी और उनकी टीम ने तरुण की तलाश में पांच राज्यों- गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल की खूब खाक छानी। इस दौरान पुलिस ने तरुण के दोस्तों और परिवार वालों पर कड़ी नजर रखी। पुलिस ने सुराग की तलाश में करीब 4,000 फोन डिटेल्स खंगाले।

जब पुलिस ने तरुण को पकड़ा तो उससे कहा कि वो अपनी पत्नी को अपनी गिरफ्तारी के बारे में बताए। उस वक्त उसने अपनी पत्नी से कहा कि ‘ मैं प्रवीण नहीं हूं…मैं तरुण हूं और मैं गिरफ्तार हो चुका हूं।’ बता दें कि 14 जनवरी 2003 को तरुण की पत्नी सजनी अहमदाबाद के एक फ्लैट में मृत मिली थी। तरुण के बड़े भाई अरुण जिनराज ने उस वक्त पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाते हुए कहा था कि किसी अज्ञात शख्स ने लूटपाट के दौरान सजनी की हत्या कर दी। बता दें कि 26 साल की सजनी बैंक एग्जीक्यूटिव के पद पर थी। सजनी का पति तरुण अहमदाबाद के एक स्कूल में बास्केटबॉल कोच था। पुलिस ने उस वक्त इस मामले में तरुण को संदिग्ध माना था और तीन दिन बाद ही तरुण अंडरग्राउंड हो गया था। तरुण और उसका परिवार मुख्य रुप से केरल का रहने वाला है। साल 2003 में तरुण की शादी सजनी से हुई थी और सजनी का परिवार भी केरल का ही रहने वाला था। यह लोग अहमदाबाद के वेजालुपर में रहते थे। इस मामले में साल 2006 में सजनी की बहन और रजनी और परिवार के अन्य सदस्यों ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर मामले की जांच की मांग भी की थी।

उस वक्त इस केस को अहमदाबाद रेज के डीआईजी अरुण कुमार शर्मा देख रहे थे। लेकिन इसके बाद वो सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर बन गए। साल 2012 में जब अरुण शर्मा ज्वाइंट कमिशनर ऑफ पुलिस बने तब उन्होंने एक बार फिर इस केस की फाइल खुलवाई। तरुण के परिवार वालों और दोस्तों के कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि तरुण एक महिला बास्केटबॉल खिलाड़ी से प्यार करता था जिससे उसकी मुलाकात सजनी से शादी से पहले हुई थी। सजनी के मरने से कुछ घंटों पहले तरुण ने अपनी दोस्त को डिजीटल डायरी दी थी और उसकी दोस्त ने उसे पर्स दिया था। पत्नी की हत्या के 2 दिन बाद तरुण ने उसे फोन भी किया था। पुलिस ने बताया था कि साल 2016 में एक महिला ने उन्हें सबसे पहले एक क्लू दिया था कि उस साल मार्च-अप्रैल के महीने में उनकी एक दोस्त ने तरुण को दिल्ली के एक मॉल में देखा था। इसके बाद से ही पुलिस तरुण की मां अन्नमा चाको के कॉल रिकॉर्ड्स डाटा पर नजदीकी नजर रख रही थी क्योंकि कहा जाता था कि तरुण अपनी मां से काफी करीब था।

पुलिस ने कॉल डिटेल के आधार पर पता लगाया कि मर्डर के बाद साल 2009 में तरुण की अपनी मां से पहली मुलाकात केरल में एक रिहैबिटेशन सेंटर में हुई थी। इसके बाद अनम्मा कई बार केरल और बेंगलुरू जा चुकी थीं। साल 2018 में अनम्मा की बेंगलुरू के एक लैंड लाइन नंबर और एक मोबाइल नंबर से बातचीत हुई थी। यह मोबाइल नंबर निशा प्रवीण भाट्ले के नाम से रिजस्टर्ड था। पुलिस ने पता लगाया लिया कि निशा प्रवीण भाट्ले बेंगलुरु में अपने पति प्रवीण भाट्ले के साथ रहती हैं। इसके बाद जब पुलिस ने लैंड लाइन के बारे में पता लगाया तो पता चला कि यह नंबर ‘ऑरेक्ल’ कस्टमर केयर का है। पुलिस सोच में पड़ गई कि अनम्मा को कस्टमर केयर से कौन फोन कर सकता है? 22 अक्टूबर को पुलिस की एक टीम बेंगलुरू पहुंची और अगले ही दिन इंस्पेक्टर चौधरी ने ‘ऑरेक्ल’ को ई-मेल भेज वहां काम करने वाले कर्मचारियों का डिटेल मांगा। इसके बाद पुलिस को यहां प्रवीण भाट्ले के बारे में पता चला।

किरण चौधरी को मालूम था कि बहुत पहले एक हादसे में तरूण की ऊंगली चोटिल हो गई थी लिहाजा प्रवीण के सामने आने के बाद उन्होंने उसे पहचान लिया। पता चला कि तरुण ने अपने एक दोस्त प्रवीण भाट्ले का पहचान पत्र चुराया थी और इसी से उसने अपनी फर्जी आईडी बनवाई थी। तरुण ने पुलिस को यह भी बताया था कि उसने दुपट्टे से गला घोंट कर अपनी पत्नी की हत्या की थी। हत्या के बाद उसने अपनी गर्लफ्रेंड को फोन किया और उसे जब इस बारे में पता चला तो उसने उसे अपनाने से इनकार कर दिया। इसके बाद वो दिल्ली गया और फिर वहां से पुणे। फिर बेंगलुरु में उसकी मुलाकात निशा से हुई। जिसके बाद उसने निशा से शादी रचा ली। (CRIME NEWS)